17 August, 2015

ना तुने हाल जाने, ना मैंने हाल जाने ।



ना तुने  हाल जाने, ना मैंने हाल जाने ।
बन कर अनजान बेवफा, क्यों भूल गए दिवाने ।
जिंदगी में क्या बचा है, क्या रह गए तराने ।
समय बचा सोचने को शहर बीच मयखाने ।
सुबह-सुबह उठने पर, सोचते है ऑफिस जाने ।
समय का बड़ा पाबंदी है, न चलेगा कोई बहाने ।
बॉस से डॉट पड़ेगी, क्यों देर कर दी आने ।
समय बचा सोचने को शहर बीच मयखाने ।
शाम को छूटने पर, सोचते है जल्द घर जाने ।
यहाँ भी पाबंदी है, न चलेगा कोई बहाने ।
मैडम से डॉट पड़ेगी, क्यों देर कर दी आने ।
समय बचा सोचने को शहर बीच मयखाने ।
रात को कहाँ खैर है जब सो गए सिढ़ाने ।
सुबह का क्या इंतजाम है, इसे अभी है बताने ।
जिंदगी बन गई है फुटबॉल, क्यों कोई हाल जाने ।
समय बचा सोचने को शहर बीच मयखाने ।
ना तुने  हाल जाने, ना मैंने हाल जाने ।
बन कर अनजान बेवफा, क्यों भूल गए दिवाने ।
जिंदगी में क्या बचा है, क्या रह गए तराने ।
समय बचा सोचने को शहर बीच मयखाने ।
                                    -   जेपी हंस
                         


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