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05 September, 2019

शिक्षक का उद्देश्य, लक्ष्य एवं संदेश ।

     
  
आमतौर पर शिक्षक शब्द का जिक्र आते ही हमारे मन में जो पहली तस्वीर उभरती है । वह हमारे स्कूल या कॉलेज के शिक्षक की होती है । इसमें दो राय नहीं कि इन दो संस्थाओं के शिक्षक हमें सबसे ज्यादा ज्ञान देते हैं । व्यक्ति के जीवन को बनाने में इन शिक्षकों का अमूल्य योगदान होता है । एक तरफ जहाँ स्कूल, कॉलेज के शिक्षक हमें सही दिशा दिखाते है तो वहीं इस संस्थाओं के बाहर भी हमें जीवन के हर मोड़ पर शिक्षक अलग-अलग रूप में मिल सकते हैं । देश-दुनिया की प्रेरणादायक शख्सियते, कोई किताब, कोई स्थान, कोई कहानी या यहाँ तक कि कोई फिल्म भी हमें शिक्षा दे सकती है ।
      शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थियों में सत्य, अहिंसा, त्याग, बंधुत्व, नैतिकता, राष्ट्रीय एकता एवं विश्वमैत्री जैसी उतम भावनाओं को विकसित करने के साथ-साथ व्यक्ति को समर्थ बनाती है तथा समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए मार्ग प्रशस्त करती है । छात्रों को समकालीन जीव की चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम बनाने के साथ ही उनमें नैतिक एवं श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों का विकास ही हमारी शिक्षक का लक्ष्य होना चाहिए । इस उद्देश्यों की प्राप्ति में शिक्षकों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है ।
संदेशः- विद्यार्थियों को हमेशा सफलता के सपने देखना चाहिए । उसके लिए काम भी करें, दिशा-निर्देश लेते रहें । आपने यदि ईमानदारी से मेहनत किया है तो इसका परिणाम भी अच्छा आएगा । माता-पिता, अभिभावकों एवं शिक्षकों के निर्देशों को ध्यान से सुने । आपका उद्देश्य पैसे कमाने की मशीन बनना नहीं है अपितु सफल इंसान बनना है जो मानवीय मूल्यों एवं संवेदनाओं को समझ सकें ताकि मानवता हमेशा जिंदा रहें । जीवन सुखमय होना चाहिए, न कि केवल भौतिक सुख-संसाधन को इकट्ठा करने में व्यस्त हो जाए । संस्कार को बचाकर रखें ताकि हम आने वाले समय में इसका नमूना पेश कर पाएं ।
विद्यार्थियों को है कि सफलता का की शॉर्टकट फॉर्मूला नहीं होता । खुदा-न-खास्ता अगर किसी को मिल भी जाता है तो वह टिकाऊ नहीं होता ।
      आज के तकनीकी युग में ऑनलाइन साइट की आपके शिक्षक हैं । निश्चित हो आप आधुनिक तकनीकी का उपयोग करें किंतु सोशल मीडिया के भ्रामक, अश्लील और दिशाविहीन सामग्री के उपयोग करने से बचें ।
अंत में- ओशो ने शिक्षक के बारें में एक गम्भीर बात कही है । वे कहते है, शिक्षक ज्ञान का प्रसारक नहीं है । राजनीतिज्ञ ये समझ गया, इसलिए शिक्षक का शोषण राजनीतिज्ञ भी करता है । सबसे आश्चर्य की बात है कि इसका शिक्षक को कोई बोध नहीं है कि उसका शोषण होता है । इस नाम पर कि वो समाज की सेवा करता है, उसका शोषण हो रहा है ।
अब सवाल ये है कि क्या हमारा शिक्षक सिस्टम के एक टूल में परिवर्तित हो गया है ? यदि ऐसा है तो यह किसी भी जीवंत-जाग्रत समाज के लिए खतरे की घंटी है । फिर भी चाहे कितने भी शिक्षक दिवस मना लिए जाएं, बदलाव की उम्मीद निष्फल रहेगा । जरूरी ये है कि हम कोशिश करें और शिक्षकों की मर्यादा को वापस लौटाएं । उनका सम्मान करें और गाहे-बगाहे उन्हें अपनी समीक्षा खुद करने के लिए प्रेरित भी करें ।