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16 May, 2021

कवि मित्र और सरकारी कर्मचारी


 


 

एक बार एक कवि और उसके सरकारी कर्मचारी मित्र की मुलाकात किसी मोड़ पर हुआ । बात-बात में सरकारी कर्मचारी ने कहाँ, मैं बहुत देशभक्त हूँ और विदेशी चीजों का बहिष्कार करता हुँ ।

कवि मित्र- ज्यादा मत फेको, आप और हम कभी विदेशियों के बिना जी नहीं सकतें ।

सरकारी कर्मचारी- कैसे?

कवि मित्र- अच्छा!  बताओं, अभी कहाँ जा रहे हो आप ?

सरकारी कर्मचारी- तपास से! मैं अभी ऑफिस जा रहा हूँ ।

कवि मित्र- ऑफिस तो अंग्रेजी शब्द है तो अंग्रेजों को अभी तक क्यों ढो रहे हो ?

सरकारी कर्मचारी- अच्छा ! तो दफ्तर जा रहा हूँ ।

कवि मित्र- दफ्तर मत जा, यह तो अरबी शब्द है । अब अरब वालों से दोस्ती क्यों ?

 

सरकारी कर्मचारी- मैं कार्यालय जा रहा हूँ, वहाँ जाकर अपने पेशे का कार्य ईमानदारी से करने जा रहा हूँ ।

कवि मित्र- ईमानदारी छोड़. यह तो फारसी शब्द है और अपनी पेशा भी छोड़ दो क्योंकि यह भी फारसी शब्द है ।

सरकारी कर्मचारी- बिदकते हुए शोर मचाते हुए बोला तो क्या जमालगोटा खाकर साहब को बोल दू कि शूल हो गया है?

कवि मित्र- ज्यादा शोर मचा मचाओ, आप शोर भी नहीं मचा सकते, क्योंकि शोर  भी विदेशी (फारसी) शब्द है, जमालगोटा भी नहीं खा सकता । यह भी विदेशी (पश्तो भाषा) का शब्द है  और हाँ! साहब को यह मत बोल देना कि मुझे हैजा हो गया है. क्योंकि हैजा भी विदेशी (अरबी) शब्द है और हाँ ! आप बीमार का बहाना भी नहीं बना सकते, क्योंकि बीमार शब्द भी विदेशी (फारसी) शब्द है ।

अन्त में सरकारी कर्मचारी खिझते हुए- अच्छा ! मैं सरकारी कर्मचारी तो हूँ न!

कवि मित्र- नहीं ! आप सरकारी कर्मचारी भी नहीं हो सकते, क्योंकि सरकारी शब्द भी विदेशी (फारसी) शब्द है ।

सरकारी कर्मचारी गुस्से से- हवालात जा रहा हूँ।

कवि मित्र- नहीं श्रीमान, आप हवालात  नहीं जा सकते, क्योंकि वह भी अरबी शब्द है । वहां जाओंगे तो वहाँ पर डंडे से स्वागत करने वाला बैठा हुआ दरोगा भी विदेशी है, क्योंकि दरोगा तुर्की शब्द है ।

 

सरकारी कर्मचारी निराश होते हुए बोला, "अब क्या करूँ?"

 

कवि मित्र- हमारा देश वसुधैव कुटु्म्बकं में विश्वास रखता है । देश भक्त का मतलब किसी भाषा या इन्सान से भेदभाव करना नहीं होता। हमने समय-समय पर सभी को अपनाया है ।

इसलिए जोर से बोलो पुरा विश्व हमारा परिवार है इस परिवार के सभी सदस्य को उचित सम्मान देगें ।

 

Photo: Thanks to google

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