लगे है वाइ-फाई जबसे तार भी नहीं आते;
बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते;
गए है जबसे शहर में कमाने घर के छोरे;
उनके घर में त्यौहार भी नहीं आते।
बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते;
गए है जबसे शहर में कमाने घर के छोरे;
उनके घर में त्यौहार भी नहीं आते।
नोट: जो पर्व-त्योहार में भी अपने माँ-बाप, दादा-दादी से भेट करने नही जाते, उनको समर्पित।
#बेसहारा_माँ
#बूढ़ी_दादी
#बेसहारा_माँ
#बूढ़ी_दादी
अंत में, सभी को शब्द क्रांति की तरफ से हार्दिक शुभकामनाये।
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