11 November, 2017

सदाबहार-2

कभी रेत पर लिखी थी हम दोनों की जिंदगानी।
आँधियाँ आई, तूफान आया मिट गयी निशानी।
मुलाकातों को दौर चलता है चलता भी रहेगा।
बस होंठो में मुस्कान और लेकर आंखो में पानी।
                            जेपी हंस

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