30 April, 2019

फिर चल दिये हम कहाँ, तुम कहाँ...


     


       



    इस धरती का वो नमुना व्यक्ति जिसे आज तक किसी लड़की से प्यार नहीं हुआ । जिसने प्यार शब्द के बारे में दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था और जिसे प्यार शब्द से भी चिढ़ था । उसे गाँव से शहर आते ही आज से लगभग 15 वर्ष पहले एक अनजानी परी से मुलाकात हुई । देखते- देखते पल भर तो ठिठका, पर वो पहला प्यार, न जाने कब हो गया, पता नहीं, पहली नजर में अपना होश खो बैठा । वो चुलबुली, हँसती-खिलखिलाती अपने सहेलियों संग मस्तियों में मशगुल । मैं देहात के साधारण-सा लड़का, वो शहर की हसीन छोरी । अपने दिल की बात तो दूर, चंद बाते करने की हिम्मत नहीं पर उस दिन के बाद हर पल हर वक्त उसकी यादों में खोया रहता । उससे मिलना लगभग रोज हो ही जाता था । दिल की बात तो नहीं कह पाता, पर उसकी याद ख्वाबों में संजोये रहता । मै भी किसी न किसी बहाने जरूर मिल लेता । अब मेरा दिल हर बार उससे मिलने को बेताब रहता, जब वो नहीं आती तो घंटों इतजार करता ।
दुर्भाग्य से मेरा जॉब दूसरे शहर में हो गया । अब दिन-रात बेचैन । इधर-उधर, पार्क में घंटो बैठा, उसके साथ गुजरे पल को याद करता । इश्क की तड़पन और दिल की धड़कन बढ़ गई थी, होठ खामोश थे, पर इस कातिल का उम्मीद जिंदा था क्योंकि मैं उससे सच्चा प्यार करता था। अब ऑफिस से छुट्टी के बाद एस्कॉन टेम्पल जाकर राधा-कृष्ण की मूर्तियों को निहारता । आज मेरी राधा मुझसे जुदा थी, बाते बिल्कुल बंद थी । एक दिन एक अनजान कॉल ने फिर से दिल में खलबली पैदा कर दी, अब धीरे-धीरे दिल खुलकर बाते होने लगी । ऑफिस खत्म होते ही साढ़े पाँच बजे रोज उसका फोन आ जाता, वो भी मेरे ऑफिस खत्म होने का इंतजार करती । कभी-कभी तो लंच आवर में भी घंटो बात होती । मैं तो उसके लंच आवर लड़की और साढ़े-पाँच बजे वाली लड़की ही कहता । ऑफिस से निकलने में देर होते ही, मिस-क़ॉल की सुनामी आ जाती । फिर क्लास शुरू, कहाँ थे ? क्या कर रहे थे ? तरह-तरह की बाते... मजाक- मजाक में कभी-कभार उसे चिढ़ाने के लिए किसी और को भी अपनी जिंदगी में होने की बात करता, पर हो एक बहाना था । वो एक नायाब नमुना, मेरी जिंदगी में अकेली और अजुबा थी । एक बार तो ऐसा हुआ कि मैं ऑफिस के कार्य में ज्यादा व्यस्त था । उसने फोन की तो मैं गुस्से से झूझलाकर कहाँ- मुझे तुमसे बात नहीं करना, उसने भी कहाँ, ठीक है आज से बात नहीं करेंगे । दस मिनट बाद ही उसने रोते हुए कॉल किया, कहा- आज से हम गुस्सा नहीं करेंगे, आप जब कहियेगा तब ही कॉल करेगे । उस दिन मुझे पता चल गया कि कितना प्यार करती है वो मुझसे !
      वक्त में मोड़ आया, जब हम अपनी एक छोटी- सी गलती की वजह से अलग हो गये. जॉब का घमंड, भौतिकता के मद में चूर । दोषी खूद मैं । वो हर-बर मुझे अपनाने को तैयार मैं परिस्थितिवस ना-ना करता रहा । मैं डिसीजन लेने में चुक गया । आज दुसरी जीवन संगिनी आने के बाद भी उसकी यादों में खोया रहना, अपने को गलत डिसीजन के लिए कोसना, कभी-कभार सोचते-सोचते आंसु आ जाना । पर अब देर हो चुकी थी, वो किसी और की हो चुकी थी । आज जब ऑफिस में काम करता हूँ, मोबाईल चालू कर, यू-ट्यूब से उसी याद में दर्द भरे गाने सुनकर दिल बहलाता । जिंदगी की वो छोटी सी गलती मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी । आज भी मैं उससे संपर्क में तो हूँ पर मैं किसी की जिंदगी को बिखेरना नहीं चाहता,  किसी की खुशियाँ छिनना नहीं चाहता । आज मैं वाट्सएप्प पर रोज ऑनलाईन तो देखता हूँ, पर चंद बाते दिल की नहीं लिख सकता, क्यों ? क्योंकि अब वो किसी और की है । पर उसके वाट्सएप्प की बार-बार बदलते डीपी और स्टेट्स से संतोष करता हूँ । बस इंतजार है अगले जन्म का कि अगली बार ऐसी गलत डिसीजन  नहीं लूंगा, चाहे मुझे दुनिया से लोहा लेना पड़े । क्योंकि प्यार क्या होता है, वो बिछड़ने के बाद पता चलता है ? हम दोनों एक तो नहीं हो सके, पर राधा-कृष्ण की भाँति दोनों एक-दूसरे से प्रेम से जुड़े रहने की कसम खाई है । मैने तो अपने जीवन के लॉगिन का पासवर्ड बना लिया है तुम्हें, जिसे किसी को नहीं बताता पर यादों में हमेशा रहता हूँ  और एक वो है जो हमें भूल गयी । दो पल रूका ख्वाबों का कारवाँ और फिर चल दिये तुम कहाँ, हम कहाँ...

4 comments:

  1. प्रेम का असली महत्व तभी पता चलता हैं जब प्रियतम दूर चला जाता हैं ,और हमारी एक गलती हमे जीवन भर रुलाती हैं ,बहुत ही प्यारी प्रेम कहानी ,सादर नमस्कार

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर नमस्कार...हार्दिक आभार...

      Delete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

अपना कीमती प्रतिक्रिया देकर हमें हौसला बढ़ाये।