आदरणीय भाईयो एवं बहनों,
सादर नमस्ते,
आज आप बड़े ही सौभाग्य से भारतवर्ष
में आदर्श नागरिक के रूप में विराजमान हैं, जहाँ से आप अपने उत्तरदायित्व निभाते
हुए समाज की सेवा के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी की भी सेवा अपने पड़ोसियों को प्रेरणा
देकर सरलता से करा सकते हैं और इसकी कार्य प्रणाली जन-जन तक सरलता से पहुँचा सकते
हैं। राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रश्न केवल भाषा का ही प्रश्न नहीं यह हमारी अस्मिता,
संस्कृति और परम्परा का भी प्रश्न है जैसा हम लिखेंगे, पढ़ेंगे, विचार करेंगे
हमारा जीवन और व्यवहार उसी प्रकार का होगा और उसका प्रभाव दूसरों पर भी पड़ेगा।
जैसा कि आप अपने देश के आदर्श नागरिक हैं,
इस प्रतिष्ठित पद पर रहते हुए अपने अधीन सभी क्षेत्रों में प्रेम और स्नेह भाव से
अंग्रेजी के स्थान पर धीरे-धीरे हिन्दी में काम कराना प्रारम्भ करायें और उन्हें
बतायें कि यहाँ की राजभाषा और राष्ट्रभाषा हिन्दी है जिसे 90-95 प्रतिशत समझते
हैं। अंग्रेजी विदेशी भाषा है। यह गुलामी मानसिकता की प्रतीक है और केवल 5 प्रतिशत
समझ पाते हैं।
मुझे पूरा विश्वास है कि आपका पूर्ण
सहयोग इस पवित्र कार्य में मिलेगा और आपको भी सन्तोष होगा।
शुभकामनाओं सहित
सधन्यवाद
आपका अपना
जयप्रकाश नारायण सिंह
हिन्दी
प्रेमी
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