05 September, 2019

कैसे बने शिक्षक?


    

   
      हमें अपने आस-पास जितने भी कैरिअर क्षेत्र दिखते है, उनमें जाने के लिए सामान्य या विशेष अध्ययन की जरूरत होती है । स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में सामान्य शिक्षक, विभिन्न विषयों के शिक्षकों से लेकर मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, मेडिकल, बिजनेस, मार्केटिंग, फाइन आर्ट, नृत्य, संगीत, योग, शारीरिक शिक्षा आदि तक ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां शिक्षक की आवश्यकता नहीं हो । मूक-बधिर व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने-सिखाने के लिए शिक्षकों में अलग तरह की योग्यता की जरूरत होती है । उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि इन क्षेत्रों में शिक्षक बनने के लिए जहां पढ़ाई की जाती है, वहां भी शिक्षक होते हैं । इसलिए सबसे पहले तो यह तय करना जरूरी है कि आप कौन-से शिक्षक बनना चाहते हैं और क्यों ।
      आम-तौर पर बच्चे अपने शिक्षकों को देख कर बचपन में ही तय कर लेते हैं है कि उन्हें शिक्षक बनना है । लेकिन अगर आप शिक्षक बनने के प्रति गंभीर है तो आपको 11वीं कक्षा में तय कर लेना चाहिए, क्योंकि 12वीं कक्षा में अच्छे अंक लाकर आप स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री कोर्स में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा दे सकते हैं । यदि आप कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी में टीचर (लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर) बनना चाहते है तो विषय पहले तय करना होगा, वह विषय ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन में लेना होगा । उसमें 55% से अधिक अंक भी लाने होंगे । फाइन आर्ट, नृत्य, संगीत आदि का टीचर बनना हो तो बहुत कम उम्र (4 से 6 साल भी हो सकती है ) में ही अभ्यास शुरू करना होगा ।

शिक्षक दिवस विभिन्न देशों की नजरों में ।






शिक्षक के सम्मान में पूरी दुनिया झुकती है । 56 देशों की संस्कृतियों में शिक्षक का स्थान सबसे ऊपर है । अलग-अलग देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग दिन मनाया जाता है । यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को वर्ल्ड टीचर्स डे घोषित किया है। यह दुनियाभर के शिक्षकों के मुद्दों को उठाने का दिन है ।
Ø  भारत में टीचर्स डे 5 सितम्बर को मनाया जाता है । दार्शनिक, शिक्षक एवं राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाता है ।
Ø  चीन में टीचर्स डे 10 सितम्बर को मनाया जाता है । दार्शनिक कन्फ्यूशियस की याद में यह परंपरा शुरू हुई थी ।
Ø  ईरान में प्रोफेसर अयातुल्ला मोर्तेजा मोताहारी की हत्या की याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  तुर्की में शिक्षक कमाल अतातुर्क की याद में टीचर्स डे 24 नवंबर को मनाया जाता है ।
Ø  मलेशिया में यह दिन 16 मई को मनाया जाता है। किसी त्योहार की तरह मनाया जाने वाला यह दिन हरी गुरु कहलाता है ।
Ø  अमेरिका में मई के पहले मंगलवार को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
Ø  रुस में 5 अक्टूबर को शिक्षक सम्मानिक किए जातें हैं ।
Ø  बांग्लादेश में 4 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  नेपाल में अषाढ़ महीने की पूर्णिमा को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  इसके अलावा पाकिस्तान, फिलीपींस, कुवैत, कतर, मालदीव, मॉरीशस, नीदरलैंड, अरबैजान, बुल्गारिया, कैमरुन, कनाडा आदि कुल 19 देश अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं ।

03 August, 2019

बुढ़ी नानी का चश्मा







अक्सर याद आती है,
वो पुरानी चश्मा बुढ़ी नानी के ।
नित्य धूल झाड़ कर,
रेक पर ऐसे सहजती,
मानो कोई अनमोल हीरा ।
वो हीरा ही था,
नानी के लिए,
हर चीज देख पाती आज भी ।
जैसे वह वर्षों पहले देखा करती थी ।
उसे पहनकर,
जवानी अहसास होती ।
वरना, खो जाने पर,
बेसहारा बुढ़ापे की कसक में
सपने बुनती रहती ।

रविश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई...


सर्वप्रथम रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन को बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार कि उनकी संस्था ने सच्चाई की राह पर चलने वालों को बियाबान अंधेरे में आशा की एक किरण दिखा दी।
दूसरे नंबर पर एनडीटीवी इंडिया को बधाई और धन्यवाद कि उसने रवीश कुमार
को तमाम झंझावातों के बाद अपने न्यूज़ चैनल के साथ  दृढ़ता पूर्वक बनाए रखा।
रवीश कुमार ने बेसहारा और बेजुवान समाज को निरंतर कठिनाइयों के मार्ग पर चलते हुए जो सम्बल प्रदान किया है, उसके लिए शब्दों में आभार व्यक्त कर पाना असम्भव लग रहा है।
आम आदमी की आवाज और समस्या को सुनकर निराकरण का प्रयास करना, निभीक, निडर बन कर सत्य की राह पर सच्ची पत्रकारिता के मानदंड स्थापित करने के लिए श्री रवीश कुमार जी को एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमैन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित होने को लख लख बधाईया ओर शुभकामनाए।

23 July, 2019

पुल




चाहा था बनाऊंगा एक पुल तेरे दिल तक पहुचने को।
तुम्हें क्या पता कितना दर्द होता है प्यार में अपनों का।
मर-मिटने की कसमें खायी थी उस दिन,
आज बड़ी शिद्दत से जरूरत पड़ी है दिल तोड़ने का।

मेहंदी





मेहंदी
मेरे नाम की लगने वाली थी।
फूल सपनों की खिलने वाली थी।
बीत गयी सोलह सावन देखते-देखते,
आज उनके घर पराये की शहनाई बजने जा रही थी।