24 September, 2019

आभारी हूँ मैं।





दर्द मुहब्बत के सह लू ,
जख्मों का अधिकारी हूँ मैं।
पीठ पर जिसने खंजर घोंपे,
उन सब का आभारी हूँ मैं।

05 September, 2019

शिक्षक का उद्देश्य, लक्ष्य एवं संदेश ।

     
  
आमतौर पर शिक्षक शब्द का जिक्र आते ही हमारे मन में जो पहली तस्वीर उभरती है । वह हमारे स्कूल या कॉलेज के शिक्षक की होती है । इसमें दो राय नहीं कि इन दो संस्थाओं के शिक्षक हमें सबसे ज्यादा ज्ञान देते हैं । व्यक्ति के जीवन को बनाने में इन शिक्षकों का अमूल्य योगदान होता है । एक तरफ जहाँ स्कूल, कॉलेज के शिक्षक हमें सही दिशा दिखाते है तो वहीं इस संस्थाओं के बाहर भी हमें जीवन के हर मोड़ पर शिक्षक अलग-अलग रूप में मिल सकते हैं । देश-दुनिया की प्रेरणादायक शख्सियते, कोई किताब, कोई स्थान, कोई कहानी या यहाँ तक कि कोई फिल्म भी हमें शिक्षा दे सकती है ।
      शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थियों में सत्य, अहिंसा, त्याग, बंधुत्व, नैतिकता, राष्ट्रीय एकता एवं विश्वमैत्री जैसी उतम भावनाओं को विकसित करने के साथ-साथ व्यक्ति को समर्थ बनाती है तथा समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए मार्ग प्रशस्त करती है । छात्रों को समकालीन जीव की चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम बनाने के साथ ही उनमें नैतिक एवं श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों का विकास ही हमारी शिक्षक का लक्ष्य होना चाहिए । इस उद्देश्यों की प्राप्ति में शिक्षकों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है ।
संदेशः- विद्यार्थियों को हमेशा सफलता के सपने देखना चाहिए । उसके लिए काम भी करें, दिशा-निर्देश लेते रहें । आपने यदि ईमानदारी से मेहनत किया है तो इसका परिणाम भी अच्छा आएगा । माता-पिता, अभिभावकों एवं शिक्षकों के निर्देशों को ध्यान से सुने । आपका उद्देश्य पैसे कमाने की मशीन बनना नहीं है अपितु सफल इंसान बनना है जो मानवीय मूल्यों एवं संवेदनाओं को समझ सकें ताकि मानवता हमेशा जिंदा रहें । जीवन सुखमय होना चाहिए, न कि केवल भौतिक सुख-संसाधन को इकट्ठा करने में व्यस्त हो जाए । संस्कार को बचाकर रखें ताकि हम आने वाले समय में इसका नमूना पेश कर पाएं ।
विद्यार्थियों को है कि सफलता का की शॉर्टकट फॉर्मूला नहीं होता । खुदा-न-खास्ता अगर किसी को मिल भी जाता है तो वह टिकाऊ नहीं होता ।
      आज के तकनीकी युग में ऑनलाइन साइट की आपके शिक्षक हैं । निश्चित हो आप आधुनिक तकनीकी का उपयोग करें किंतु सोशल मीडिया के भ्रामक, अश्लील और दिशाविहीन सामग्री के उपयोग करने से बचें ।
अंत में- ओशो ने शिक्षक के बारें में एक गम्भीर बात कही है । वे कहते है, शिक्षक ज्ञान का प्रसारक नहीं है । राजनीतिज्ञ ये समझ गया, इसलिए शिक्षक का शोषण राजनीतिज्ञ भी करता है । सबसे आश्चर्य की बात है कि इसका शिक्षक को कोई बोध नहीं है कि उसका शोषण होता है । इस नाम पर कि वो समाज की सेवा करता है, उसका शोषण हो रहा है ।
अब सवाल ये है कि क्या हमारा शिक्षक सिस्टम के एक टूल में परिवर्तित हो गया है ? यदि ऐसा है तो यह किसी भी जीवंत-जाग्रत समाज के लिए खतरे की घंटी है । फिर भी चाहे कितने भी शिक्षक दिवस मना लिए जाएं, बदलाव की उम्मीद निष्फल रहेगा । जरूरी ये है कि हम कोशिश करें और शिक्षकों की मर्यादा को वापस लौटाएं । उनका सम्मान करें और गाहे-बगाहे उन्हें अपनी समीक्षा खुद करने के लिए प्रेरित भी करें ।

कैसे बने शिक्षक?


    

   
      हमें अपने आस-पास जितने भी कैरिअर क्षेत्र दिखते है, उनमें जाने के लिए सामान्य या विशेष अध्ययन की जरूरत होती है । स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में सामान्य शिक्षक, विभिन्न विषयों के शिक्षकों से लेकर मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, मेडिकल, बिजनेस, मार्केटिंग, फाइन आर्ट, नृत्य, संगीत, योग, शारीरिक शिक्षा आदि तक ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां शिक्षक की आवश्यकता नहीं हो । मूक-बधिर व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने-सिखाने के लिए शिक्षकों में अलग तरह की योग्यता की जरूरत होती है । उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि इन क्षेत्रों में शिक्षक बनने के लिए जहां पढ़ाई की जाती है, वहां भी शिक्षक होते हैं । इसलिए सबसे पहले तो यह तय करना जरूरी है कि आप कौन-से शिक्षक बनना चाहते हैं और क्यों ।
      आम-तौर पर बच्चे अपने शिक्षकों को देख कर बचपन में ही तय कर लेते हैं है कि उन्हें शिक्षक बनना है । लेकिन अगर आप शिक्षक बनने के प्रति गंभीर है तो आपको 11वीं कक्षा में तय कर लेना चाहिए, क्योंकि 12वीं कक्षा में अच्छे अंक लाकर आप स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री कोर्स में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा दे सकते हैं । यदि आप कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी में टीचर (लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर) बनना चाहते है तो विषय पहले तय करना होगा, वह विषय ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन में लेना होगा । उसमें 55% से अधिक अंक भी लाने होंगे । फाइन आर्ट, नृत्य, संगीत आदि का टीचर बनना हो तो बहुत कम उम्र (4 से 6 साल भी हो सकती है ) में ही अभ्यास शुरू करना होगा ।

शिक्षक दिवस विभिन्न देशों की नजरों में ।






शिक्षक के सम्मान में पूरी दुनिया झुकती है । 56 देशों की संस्कृतियों में शिक्षक का स्थान सबसे ऊपर है । अलग-अलग देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग दिन मनाया जाता है । यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को वर्ल्ड टीचर्स डे घोषित किया है। यह दुनियाभर के शिक्षकों के मुद्दों को उठाने का दिन है ।
Ø  भारत में टीचर्स डे 5 सितम्बर को मनाया जाता है । दार्शनिक, शिक्षक एवं राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाता है ।
Ø  चीन में टीचर्स डे 10 सितम्बर को मनाया जाता है । दार्शनिक कन्फ्यूशियस की याद में यह परंपरा शुरू हुई थी ।
Ø  ईरान में प्रोफेसर अयातुल्ला मोर्तेजा मोताहारी की हत्या की याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  तुर्की में शिक्षक कमाल अतातुर्क की याद में टीचर्स डे 24 नवंबर को मनाया जाता है ।
Ø  मलेशिया में यह दिन 16 मई को मनाया जाता है। किसी त्योहार की तरह मनाया जाने वाला यह दिन हरी गुरु कहलाता है ।
Ø  अमेरिका में मई के पहले मंगलवार को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
Ø  रुस में 5 अक्टूबर को शिक्षक सम्मानिक किए जातें हैं ।
Ø  बांग्लादेश में 4 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  नेपाल में अषाढ़ महीने की पूर्णिमा को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
Ø  इसके अलावा पाकिस्तान, फिलीपींस, कुवैत, कतर, मालदीव, मॉरीशस, नीदरलैंड, अरबैजान, बुल्गारिया, कैमरुन, कनाडा आदि कुल 19 देश अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं ।

03 August, 2019

बुढ़ी नानी का चश्मा







अक्सर याद आती है,
वो पुरानी चश्मा बुढ़ी नानी के ।
नित्य धूल झाड़ कर,
रेक पर ऐसे सहजती,
मानो कोई अनमोल हीरा ।
वो हीरा ही था,
नानी के लिए,
हर चीज देख पाती आज भी ।
जैसे वह वर्षों पहले देखा करती थी ।
उसे पहनकर,
जवानी अहसास होती ।
वरना, खो जाने पर,
बेसहारा बुढ़ापे की कसक में
सपने बुनती रहती ।

रविश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई...


सर्वप्रथम रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन को बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार कि उनकी संस्था ने सच्चाई की राह पर चलने वालों को बियाबान अंधेरे में आशा की एक किरण दिखा दी।
दूसरे नंबर पर एनडीटीवी इंडिया को बधाई और धन्यवाद कि उसने रवीश कुमार
को तमाम झंझावातों के बाद अपने न्यूज़ चैनल के साथ  दृढ़ता पूर्वक बनाए रखा।
रवीश कुमार ने बेसहारा और बेजुवान समाज को निरंतर कठिनाइयों के मार्ग पर चलते हुए जो सम्बल प्रदान किया है, उसके लिए शब्दों में आभार व्यक्त कर पाना असम्भव लग रहा है।
आम आदमी की आवाज और समस्या को सुनकर निराकरण का प्रयास करना, निभीक, निडर बन कर सत्य की राह पर सच्ची पत्रकारिता के मानदंड स्थापित करने के लिए श्री रवीश कुमार जी को एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमैन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित होने को लख लख बधाईया ओर शुभकामनाए।

23 July, 2019

पुल




चाहा था बनाऊंगा एक पुल तेरे दिल तक पहुचने को।
तुम्हें क्या पता कितना दर्द होता है प्यार में अपनों का।
मर-मिटने की कसमें खायी थी उस दिन,
आज बड़ी शिद्दत से जरूरत पड़ी है दिल तोड़ने का।