जेपी डायरी
मन की भावनाओं को लेखनी के रूप में व्यक्त करने का एक प्रयास.
31 July, 2023
दुखी हृदय का आह्वान
वर्तमान सरकार की तानाशाही रवैए पर कविता:
17 September, 2021
20 वर्ष की उम्र में 40 देशों की सैर करने वाला एक बिहारी NOMAD SHUBHAM की BIOGRAPHY
नमस्कार दोस्तों,
मैं आज उस शख्स के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसने न उम्र की परवाह की और न ही
पैसों की, बस सोलह-सतरह वर्ष की उम्र में अपनी साहसी मन लेकर दुनिया की सैर करने निकल पड़ा. मतलब बिना पैसों की
दुनिया घुमने का सपना पुरा कर रहा है. इस बिहारी शख्स का नाम शुभम कुमार SHUBHAM KUMAR है. इसने 20 वर्ष की आयु तक 40 देशों से ज्यादा
की सैर कर चुका है.
शुभम कुमार का जन्म
बिहार के मुंगेर जिले के असरगंज गाँव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. इनके
पिता एक सरकारी टीचर है और माता हाउस वाईफ है. शुभम नें अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गाँव
में रहकर किया. बाद की पढ़ाई के लिए पटना आ गये. फिर 10वीं पास करने के बाद Engineering की तैयारी करने के इंजिनियरिंग की फैक्ट्री कोटा
पहुँचे. कोटा में रहकर Engineering Entrance की तैयारी की.
कोटा में रहकर Engineering Test Exam देने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों में जाते थे
जिसके दौरान कई शहरों को Explore करना
शुरु किया.
All
India Engineering में रिजल्ट आने के
बाद NIT कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन वहाँ मन नहीं लगा
फिर Engineering
की पढाई के लिए जर्मनी की University में अप्लाई किया और वहीं सेलेक्ट हो गये.
दीपिका कुमारी- 27 साल में 54 देशों को धूल चटाने वाली भारतीय महिला.
Travelling का शौक
Talent
उम्र और पैसों की प्रतिक्षा नहीं करती बल्कि साहस
और जुनून हो तो वह खुद उभर कर बाहर आ जाता है. शुभम कुमार को Travelling का शौक 13 वर्ष की आयु से था पर कोटा में रहकर
विभिन्न शहरों में परीक्षा देने के दौरान इस शौक को पूरा करने का भरपूर मौका मिला.
इसने YouTube से वरुण वागीश उर्फ Mountain Trekker के Travelling का
विडियों देखा उसके बाद इसने महसूस किया कि ट्रेभल करने के लिए किसी भी डिग्री की
आवश्यकता नहीं होती.
इसने
कोटा में रहने के दौरान जयपुर, उदयपुर साथ ही राजस्थान के अन्य कई जगहों पर गये
फिर शिमला, मनाली, लेह और लद्दाख का सैर किया. इसने यात्री की शुरुआत मार्च 2017
से शुरू किया लेकिन Full time travelling का सफर
2018 से शुरु किया.
Travelling का सफर
शुभम
कुमार ने वैसे तो Travelling का सफर 2017 में
अपने देश के विभिन्न शहरों से किया, 2018 से फूल टाइम Travelling का सफर शुरु किया लेकिन अपने देश से बाहर पहली
बार Nepal,
Bhutan को Explore किया.
फिर
भारत से बांग्लादेश, बांग्लादेश से म्यानमार, म्यानमार से थाइलैंड, थाईलैंड से
लाओस, लाओस से चाईना, चाइना से मंगोलिया, मंगोलिया से रशीया, रशीया से
किर्गीस्तान, किर्गीस्तान से कजागिस्तान, कजागिस्तान से उज्जबेगिस्तान का सफर किया
और वहाँ से वापस भारत लौटे. उसके बाद पुनः भारत से दक्षिण अफ्रीका By land का सफर तय किया. जिसमें दुनिया के 3 continents और 40+ देश
शामिल है और आज भी विभिन्न देशों में Travelling कर रहे
हैं.
इसने
hitchhiking (हीचेकिंग का मतलब एक जगह से दूसरी जगह जाने के
लिए लोगों से लिफ्ट मांगना होता है) के माध्यम से रशीया के याकूटिया के पास
ओम्याकोन Oymyakon
नामक एक जगह पर पहुँचे जहाँ का तापमान -71 डिग्री
सेल्सियस चला जाता है. Oymyakon जाने के
पहले वहाँ के बारे में youtube से एक Documentry देखी और साहस कर उस स्थान का भ्रमण किया; यह जानते हुए भी कि यह विश्व की सबसे ठंडी जगह
है.
(Video credit: Nomad Shubham youtube channel)
Travelling का खर्चा
पोलो
कोलो ने कहा है- “यात्रा पैसों की
नहीं बल्कि साहस की बात है” यह कथन बिल्कुल सही
है पर साहब बातों से पेट नहीं भरता. पेट भरने के लिए पैसो की जरूरत होती है. जब
इसने Travelling
शुरू किया था तब Skype Platform की मदद से Tuition पढाया, Freelancer का काम शुरु किया, कभी-कभी होटल का Review दे दिया करते थे जिससे कुछ आमदनी हो जाया करता
था. लेकिन
इतना से World
Travelling संभव नहीं था तब
इन्होंने चार देशों के सफर करने के बाद अपना Youtube Channel बनाया.
यूट्यूब
चैनल बनाने का एक मकसद यह भी था कि दुनिया के बारे में बताना कि दुनिया में सारे
लोग चोर, बदमास, आतंकवादी और माओवादी नहीं होते बल्कि अधिकांश लोग बहुत अच्छे होते
है. जैसा कि हमारे देश के गोदी मीडिया GODI MEDIA OF INDIA चिख-चिख कर बताती है. इसने 2019 में अपना पहला वीडियों यूट्यूब
पर अपलोड किया. आज इनके यूट्यूब चैनल के 15 लाख Subscriber और 20 लाख Viewer बन चुके हैं.
भोजपुरी महफिल की अस्मिता बचाने आई नेहा सिंह राठौड़.
शुभम कुमार ज्यादातर
यात्रा लोगों से लिफ्ट लेकर करते हैं जिसमें कोई पैसा नहीं देना पड़ता. जिसे
ट्रेभलिंग की भाषा में Hitchhiking हिचैकिंग कहते हैं. वह कभी-कभी बस स्टैंड, पेट्रोल-पंप या टेंट लगाकर
सो जाते हैं जिसे रहने का खर्चा बच जाता है. कभी-कभी किसी देश के लोग रहने-खाने का
खर्चा उठा लेते हैं या अपने घर में आश्रय देकर खर्च उठाते हैं जिसे Couch Suring कहते हैं. Couch Suring का मतलब आप मुफ्त में उस शहर के
रहने वालों के साथ रह सकते हैं जिससे travelling करने वालों का खर्चा बच जाता है.
सम्मान-पुरस्कार
शुभम
कुमार को भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने फोन कर साहस भरी अभियान की तारीफ किया और मनोबल बढ़ाया.
Public Transport
और Hitchhiking के माध्यम से एक लाख किलोमीटर से ज्यादा का Travelling करने के लिए Genius Book of World Records में नाम दर्ज हो गया.
विश्व
के सबसे ठंडे प्रदेश रशीया के याकूटिया के पास ओम्याकोन Oymyakon में जाने वाले चौथे भारतीय बने हैं.
वर्तमान कैरियर
वर्तमान
में Distance से ग्रेजुएशन करते
हुए World Tour के Passion को जारी रखा है. वह सोशल मीडिया पर NOMAD SHUBHAM
के नाम
से जाने जाते हैं. NOMAD का अर्थ
घुमंतू या घुमने वाला होता है. इनके Youtube चैनल का नाम Nomad Shubham हैं. Instagram ID @nomadshubham
हैं.
(snapshot credit: Nomad Shubham youtube channel)
13 September, 2021
सरकारी नौकरी के 11 साल: कुछ अनछुए यादें. (Part-1) Eleven years of government job of Jai Prakash Narayan or JP HANS
जोइनिंग के पहले का संघर्ष:
मैं 10 सिंतबर को दिल्ली पहुँचा था। इससे पहले दिल्ली दो बार, एक बार एग्जाम और एक
बार मेडिकल टेस्ट के लिए आया था। समझिये मेरे लिए दिल्ली एक अनजान शहर था। मैं
दिल्ली रेलवे स्टेशन से बस पकड़कर लाजपत नगर पहुँचा। लाजपत नगर में हमारे भैया रहते
थे। उन्होंने बताया था कि आप लाजपतनगर बस से आ जाइए। लेकिन लाजपत नगर इतना बड़ा
होगा यह नहीं मैंने समझा था। बहुत तेजी से बारिश हो रही थी, मेरे लाजपत नगर पहुचते-पहुचते करीब छह बजे चुके थे। एक अनजान जगह, शाम होने पर था और ऊपर से बारिश छूटने का नाम नहीं ले रहा था। मैं लाजपत
नगर वाली बस स्टैंड पर उतरा, भींगते हुए सामने किसी
दुकान में पहुँचा। वहां पहुँचकर भैया को फोन किया। भैया
अपने ड्यूटी से आकर लाजपत नगर बस स्टैंड के सामने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास
रुके हुए थे पर तेज बारिश के चलते अपने रूम N-38, डबल स्टोरी, निर्मलपुरी लाजपतनगर को जा चुके
थे। एक अनजान शहर, शाम का समय, तेज बारिश, ऊपर से मेरे कीपैड मोबाइल के बैटरी
जवाब दे रहा था। भैया बार-बार N-38 डबल स्टोरी आने को बोल रहे थे पर बारिश के चलते साफ सुनाई नहीं आ रही थी।
दुकान वाले ने बैग ढकने के लिए एक प्लास्टिक देकर मुझे चलता किया। दुकान वाले मुझे
अनजान समझकर ज्यादा देर ठहराना उचित नहीं समझ रहे थे। भैया से बार-बार बात करने से
यह बात समझ आ गयी थी कि हमें ज्यादा दूर नहीं जाना है। मेरा पूरा जूता भींग चुका
था। लाजपत नगर फ़्लाईओवर के पास पानी जमा हो गया था, जिससे
भींगे जूते से चलना मुश्किल हो गया फिर किसी तरह उनके रूम में पहुँचा। डर इसी बात
का था कि यह शहर मेरे लिए अनजान था, शाम का समय हो गया
था, तेज बारिश हो रही थी और मोबाइल के बैटरी खत्म होने
के कगार पर था। इस परिस्थिति में अगर भैया के रूम नहीं मिलते तो क्या करता?
खैर, अगले दिन पुरानी दिल्ली टाउन हॉल जाकर केंद्रीय संस्थापना विभाग से
जोइनिंग लेटर लिया और सोमवार 13 सितम्बर को वही लाजपत नगर में स्थित MCD के Assessment & Collection
Department (House Tax Department) में जोइनिंग दिया। जोइनिंग
से पहले अपने मित्र ANIL DUTTA, Uttar Pradesh से
मिला जो कि 30 अगस्त,
2010 को MCD के IT सेल में जॉइन किया था। आफिस के
जोइनिंग का हालचाल इसी से पता करता था। मजे की बात है
कि मैं पहले दिन जब दिल्ली आया था तो उसी ऑफिस के गेट से होकर गुजरा था फिर भी
मुझे इस ऑफिस के बारे में पता नहीं चला।
13 सितम्बर को मेरे साथ एक दोस्त Vinay
Kumar, Hajipur, Bihar और दिल्ली के एक Geeta
Kumari भी उसी पोस्ट पर जॉइन किया। जोइनिंग के बाद कुछ दिनों
के बाद पोस्टिंग मिला था तब तक इधर-उधर घूमकर मौज करते रहे बाद में जब पोस्टिंग
हुआ तो मेरा और Geeta Kumari, Delhi को MVC
(Municipal Valuation Committee) और Vinay Kumar,
Hajipur को DCC (Dishonour Cheque Cell) मिला। 20 सितम्बर को बिहार से एक और
क्लर्क जॉइन किया Krishan Kant Kunal. मैं, विनय और कुणाल (तीनो बिहारी) मिलकर लाजपत नगर 'गढ़ी' में रहने लगा। बाद में दो दिनों के ट्रेनिंग हुआ जिससे बहुत सारे दोस्त बन
गया। नवल किशोर, शेखर सुमन, जाकिर
हुसैन, जगदीश, राजकुमार.
घनश्याम, जितेंद्र, अभिषेक. कई दोस्तों के नाम भी भूल चुका हूँ क्योंकि मेरे MCD से विदा लेने से पहले दूसरे विभाग में जा चूके थे और कई से अब संपर्क नहीं
है।
ऑफिस जोइनिंग के बाद का संघर्ष:
मुझे और गीता कुमारी को एक ही सेल में पोस्टिंग हुआ। जोइनिंग के बार MVC के PA ने मुझे वहां के कार्य के बारे में बताया कि यह सेंसिटिव जगह है, यहां दिल्ली के कॉलोनियों का categorization होता है। जिससे टैक्स तय होता है। बाहर किसी को मत बताना, अन्यथा नौकरी चली जायेगी।
एक दिन बहुत मजेदार हुआ। मेरे एडमिन के Dy A&C. झा सर थे। उनके PA ने अपने चैम्बर में बुलाया, यह चैम्बर डिप्टी
के चैम्बर के आगे था। वहां गीता कुमारी पहले से बैठी थी। डिप्टी के PA ने मुझे बोला कि आपको हिंदी ट्रांसलेट के बारे में जानकारी है सो कुछ मैटर
ट्रांसलेट करना है, जबकि मेरा पोस्टिंग MVC में था और क्लर्क के पोस्ट में आया था। मैंने PA को जवाब दिया, नहीं! 'मुझे नहीं आता है।' इतने में PA गुस्सा हो गया, 'गीता तो कह रही है आपको आता है।' मैंने कहा जैसे आप DICTIONARY से मीनिंग
खोजकर ट्रांसलेट कीजियेगा वैसे ही मैं करूँगा। इतने में PA गुस्सा से लाल हो गया और कहने लगा, 'नया-नया आया है
और जबान लड़ता है ओ भी डिप्टी के चैम्बर में।' मैंने कुछ
नहीं बोला और सीधा अपने सीट पर चला आया और मन ही मन कहा, 'जो
करना है कर लो, मैं क्लर्क हूँ, कोई ट्रांसलेटर नहीं।'
गलत का मतलब गलत होता है। मुझसे गलती
बर्दाश्त नहीं होती। जब ऑफिस जॉइन किया तो सभी क्लर्क को आई.डी कार्ड मिलना था, आईडी देने वाला केयरटेकर कुछ पैसा
ऐठने के चक्कर में था तब मैंने केयरटेकर के खिलाफ एक लंबा-चौड़ा शिकायती पत्र लिखा
जिससे हमारे दोस्त अनिल दत्त ने यह कहकर फाड़ दिया कि अभी-अभी नौकरी जॉइन किया है
और पुराने आदमी को शिकायत करोगे, कही तुम्हे नुकसान न
पहुँचा दे। फिर जैसे-तैसे आईडी कार्ड मिला।
सभी नए क्लर्को को नौकरी करते हुए एक साल
से अधिक समय हो गया था फिर भी सैलरी नहीं मिल रही थी। वजह थी MCD की एक शर्त की जब तक सभी क्लर्को
का पोलिस वेरिफिकेशन नहीं हो जाता तब तक सैलरी नहीं मिलेगी। जैसे-जैसे वेरिफिकेशन
होकर डोजियर आता वैसे सैलरी चालू हो जाती। मेरा और कई दोस्तों को डोजियर आ गया था
फिर भी Establishment Section वाले सैलरी जारी
नहीं कर रहे थे तब मैंने डिप्टी इस्टैब्लिशमेंट मैडम पुष्पा सैनी की शिकायत लेकर HOD के पास पहुँच। फिर बाद में सैलरी जारी हुआ।
कुछ ही दिनों के बाद मेरा ट्रांसफर MVC से डायरी-डिस्पैच सेक्शन में राजकुमारी मैडम, सुनीता मैडम के साथ कर दिया गया जहां गंगा सहाय जी MCD के वरिष्ठ व्यक्ति का सानिध्य प्राप्त हुआ। लगभग डेढ़ साल के बाद लाजपतनगर हाउस टैक्स मुख्यालय को नई दिल्ली स्थित सिविक सेन्टर ट्रांसफर कर दिया गया। अब हमलोगों का नया ऑफिस सिविक सेन्टर के 20वाँ फ्लोर पर आ गया। हम तीनों साथियों को प्रतिदिन ऑफिस के लिए लाजपत नगर से नई दिल्ली सिविक सेंटर जाना होता था। सिविक सेन्टर में मेरे साथ सुनीता मैडम और जितेंद्र था, जितेंद्र बाद में GRP सेल में चला गया और सुनीता मैडम आरके पुरम ट्रान्सफर करवा ली। अब मैं इस सेक्शन में अकेला था और लेटर ले जाने के लिए मेरे साथ पांच नोटिस सर्वर; गंगा सहाय, रमेश कुमार, गोयल जी, सचिदानंद जी, एक का नाम याद नहीं।
(सिविक सेन्टर बिल्डिंग)
कुछ दिनों के बाद MCD का तीन भागों में बंटवारा हो गया। मैं और मेरे दोनों पार्टनर का एड्रेस साउथ दिल्ली में होते हुए हम तीनों का ट्रांसफर पूर्वी दिल्ली नगर निगम, पटपड़गंज में कर दिया गया। अब हमलोगों का नया ऑफिस पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज हो गया। हमलोगों ने अपना रूम लाजपत नगर 'गढ़ी' से बदलकर लक्ष्मी नगर में ले लिया।
(बीच में डाढी वाले विनोद सर)
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के हाउस टैक्स में हमारे नए गुरु 'श्री विनोद कुमार शर्मा' हेड क्लर्क और मार्गदर्शक "शशिधरण केपी" बने। शशिधरण जी जोइनिग से लेकर रिजाईनिंग तक एक मार्गदर्शक की भूमिका में रहे। यो कहूँ की शशिधरण जी, दोनों साथी (कुणाल और विनय) और मैडम पुष्पा सैनी एक ही विभाग में रहकर मेरे जोइनिंग से लेकर रिजाइनिंग तक के साक्षी रहे हैं।
गलती के लिए विभागीय दंड:
मैंने 11 साल के कैरियर में कभी जानबूझकर गलती नहीं की। भले विभाग ने मुझे दो बार MEMO (Show Cause) दिया पर यह विभाग के अपनी नाकामियां छुपाने के लिये दिया था। पहली बार जब मेमो दिया गया था और उसमें जिस दिन के घटना का जिक्र था उस दिन मैं उपस्थित था ही नहीं इसलिए मेरा मेमो खारिज हुआ
दूसरा मेमो मेरे जोइनिंग के पहले के किसी
लेटर के लिए दिया गया था जिससे मुझे कार्यभार संभालने के बाद सहेजने के लिये मिला
ही नहीं था। इस तरह दोनों मेमो से मैं मुक्त हुआ।
पहले और दूसरे मेमो की कहानी भी 2012 से 2014 के बीच ही है उसके बाद आज तक कोई SHOW CAUSE या मेमो नहीं मिला।
मैंने 07 फरवरी, 2014 को पूर्वी दिल्ली नगर निगम के क्लर्क पद से त्याग-पत्र देकर10 फरवरी, 2014 को इनकम टैक्स विभाग, बिहार एवं झारखंड में स्टेनोग्राफर का पद ज्वाईन किया.
15 August, 2021
चलो फिर से सबको याद दिलाते हैं।
14 August, 2021
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा (क्रांति-गीत)
मिलती रोटियां जब छीन जाती हाथों से।
फुसलाये जाते हो मीठी-मीठी बातों से।
इंकलाब का नारा अपना गढ़ना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।
जिंदगी गुजर रही जुल्मों को सहते हुए।
पुरखे खाये थे हमारे, गोलिया लड़ते हुए।
अब हमें ही तीर-कमान पकड़ना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।
जब आती है हको को मिलने की बारी।
जाति-धर्मो में उलझाने की करते तैयारी।
हर भेड़- चाल उनकी समझना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।
-जेपी हंस (www.jphans.in)