🔥गुजर रही है जिंदगी🔥
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गुज़र रही है ज़िंदगी
ऐसे मुकाम से
अपने भी दूर हो जाते हैं,
जरा से ज़ुकाम से।
तमाम कायनात में "एक कातिल बीमारी" की हवा हो गई,
वक्त ने कैसा सितम ढ़ाया कि
"दूरियां"ही "दावा" हो गई।
आज सलामत रहे
तो कल की सहर देखेंगे
आज पहरे में रहे
तो कल का पहर देखेंगें।
सांसों के चलने के लिए
कदमों का रुकना जरूरी है,
घरों में बंद रहना दोस्तों
हालात की मजबूरी है।
अब भी न संभले
तो बहुत पछताएंगे,
सूखे पत्तों की तरह
हालात की आंधी में बिखर जाएंगे।
यह जंग मेरी या तेरी नहीं
हम सबकी की है,
इस की जीत या हार भी
हम सब की है।
अपने लिए नहीं
अपनों के लिए जीना है,
यह जुदाई का जहर दोस्तों
घूंट घूंट पीना है।
आज महफूज़ रहे
तो कल मिल के खिलखिलाएंगे,
गले भी मिलेंगे और
हाथ भी मिलाएंगे।
✍️पवन सिंह
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Ghar me rahkar jindgi gujare, achcha rahega...
ReplyDeleteशुक्रिया...
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