22 May, 2021

जनता हुआ निठल्ला


जनता हुआ निठल्ला ।

 




 

एक-साथ सब अंधभक्त बोले,

सबकुछ बल्ले-बल्ले ।

साहब, तुम्हारे राम राज में,

जनता हुआ निठल्ले ।


खत्म हुआ सरकारी नौकरी,

खत्म सरकारी कम्पनी,

युवा सब बेहाल हुए,

भाग्य को कोसे अपनी ।

 

पग-पग पर पूँजीपति खेले,

लूट का खेल खुल्ला ।

साहब तुम्हारे राम राज में,

जनता हुआ निठल्ला ।

 

निजीकरण से खत्म हुये नौकरियाँ,

सरकारीकरण मांगे हर पल ।

रेलवे, एयरपोर्ट सब बेच दिये,

बचा केवल नदी, समुदर के जल ।

 

महामारी में भी चुनाव कराते,

वाह रे सत्तालोभी पिल्ला 

साहब तुम्हारे राम राज में,

जनता हुआ निठल्ला ।

 

साधु-संत-सी डाढ़ी बढ़ाकर,

फेकते जुमला भाषण ।

घड़ियाली आंसु बहाकर,

जनता को कराते ढ़ोगासन ।

 

काश लोग अब भी कहते

मेरा साहब नल्ला 

साहब तुम्हारे राम राज में,

जनता हुआ निठल्ला ।

             निठल्ला- जिसके पास कोई काम-धंधा न हो; बेरोज़गार,

            नल्ला-  कुछ भी न करने वाला,

 

                           लेखक-  जेपी हंस  

 

 [जेपी डायरी एक स्वतंत्र ब्लॉग है, इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. जेपी डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, फेसबुक पेज, ट्विटर पर फॉलो करे…]

5 comments:

  1. बहुत जबरदस्त शब्द चयन है सर।पढ़कर बहुत अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  2. Bahut marak praharak kavita sir,Nalla ka ek arth tamil me achchha bhi hota hai

    ReplyDelete
  3. In 15 spins the quantity eight never comes up and due to this fact our game ends quite shortly. One dealer per felt, match director 바카라사이트 oversees all tables. Putin’s frustration and fury about this dropping war and his dedication to escalate hostilities turned apparent in the initial days of the successful Ukrainian counterattack. At first, his answer was missile strikes towards Ukraine’s important infrastructure, corresponding to electric power stations and waterworks.

    ReplyDelete

अपना कीमती प्रतिक्रिया देकर हमें हौसला बढ़ाये।