गजल
तोते दिखते ही नहीं, बाज नजर आते हैं ।
बगुले और गिद्ध के समाज नजर आते हैं ।
मायने के आइने वे अन्दाज नजर आते हैं ।
महफिल यह खुशियाँ बिखरेंगी कैसे ।
जब गाने वाले गायब, सिर्फ साज नजर आते हैं ।
पद को जो दुनिया में हद करके छोड़ दें ।
कपटी के सर पे ही ताज नजर आते हैं ।
असल में हम जिसका है उसे नहीं मिल पाता ।
ऐसे में कुटिल दगाबाज नजर आते हैं ।
-अज्ञात
-अज्ञात
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