26 August, 2014

मानव मस्तिष्क के विकास

मानव मस्तिष्क के विकास संबंधी जानकारियाँ

समाज में ऐसे व्यक्तित्व का विकास करना जो समतामूलक स्वस्थ समाज की रचना के लिए अति आवश्यक हैं । ऐसे व्यक्ति ही अपनी संकीर्ण सीमा से ऊपर उठकर समाज, देश और विश्व स्तर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों की स्मृति जितनी अच्छी होगी उतनी ही ज्ञान ग्रहण करने की क्षमती बढ़ जाएगी । जितना ज्ञान होगा, उसी के आधार पर भविष्य की योजनाएं बनेंगी और उनका क्रियान्वयण होगा ।

स्मरण शक्ति कम होने के कारण

1.      निन्द्रा और आलस्य की ओर व्यक्ति का झुकाव ।
2.      मस्तिष्क की झुकाव पढ़ने की तरफ न होना ।
3.      टी.वी, मोबाईल, और अन्य मनोरंजन के साधनों के प्रति आकर्षण ।
4.      रीढ़ की हड्डी को झुका कर बैठने को आदि होना ।
5.      शरीर में कफ का जमना और मल का अवरोध होना ।
6.      निषेधात्मक दृष्टिकोण को होना ।
7.      स्मृति में डाले गए विषयों को नहीं दोहराना ।
8.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से ग्रस्त होना ।
9.      मस्तिष्क का सीमित विकास या विकृत मस्तिषक का होना ।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के व्यावहारिक तरीके

1.      वाणी संयम का अभ्यास करना ताकि मस्तिष्कीय ऊर्जा का बेकार खर्च न हो ।
2.      पढ़ने के प्रति रुचि और जागरूकता पैदा करना चाहिए ।
3.      पढ़े गए विषयों को बार-बार दोहराना ।
4.      पढ़ने के बाद आवश्यक विषयों को बिन्दु के रूप में याद रखना ।
5.      शरीर में कफ की प्रकृति को काबू में रखना ।
6.      हमेशा रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर बैठना चाहिए, जिससे मस्तिष्क की इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां सदा स्वस्थ बनी रहें ।
7.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से मुक्ति पाने का उपाय करना ।
8.      अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसमें रुचि लेना और व्यर्थ की बातों में समय खर्च नहीं करना ।   समय का प्रबंधन करना ।
9.      अध्ययन के साथ अध्यात्म को भी पालन करना ।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के प्रायोगिक तरीके

1.      ज्ञान मुद्रा- दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे के पोरों को मिलाकर इस प्रकार घुटनों पर रखें कि हथेली का निचला भाग घुटने पर रहे । शेष तीन उगलियाँ मिली हुई और सीधी हो ।
2.      महाप्राण ध्वनि-सोने से पूर्व, सोकर उठने के तुरंत बाद एवं पढ़ने से पूर्व नौ-नौ बार महाप्राण ध्वनि का अभ्यास करें अर्थात किसी भी आसन में बैठकर, नेत्र बंद रखते हुए ओठ बंद करें तथा ओम् का गुंजन करें।
3.      आसन- योगमुद्रा, सर्वागासन एवं शशांकासन का नियमित अभ्यास करें ।
4.      ध्यान- ज्ञान केन्द्र आज्ञाचक्र पर सूर्यमुखी फूल की तरह चमकते पीले रंग का ध्यान करें । (समय-10 मिनट)
5.      भावना- रात को सोते समय शरीर को शिथिल करके भावना जागृत करे कि मेरी स्मरण शक्ति बढ़ रही है ।
6.      ऊं ह्रीं सरस्वत्यै नमः का सोते समय जप करें ।
7.      त्राटक- किसी मोमबती को आंखों जितनी ऊंचाई पर रखे । उसकी दूरी एक मीटर हो । आंख खोलकर लगातार मोमबती की लौ पर दृष्टि एकाग्र करें । कुछ देर बाद नेत्र बंद करें । फिर खोलें फिर पहले से अधिक देर तक देखें । जब तक आंखों से पानी न आ जाए एक टक देखें । बाद में हथेलियों का कप-सा बनाकर बंद आंखों पर रखें ।





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