कैसे कहूँ कि हिन्द के वासी है आजाद ।
यूँ कहूँ कि हम पहले से ज्यादा है बर्बाद ।
फर्क तो सिर्फ इतना है ।
अब मत पूछना कितना है ।
पहले लूटते थे गोरे, आज काले लूट रहे हैं ।
महारानी राज करती थी पहले, आज नेता जी राज कर रहे हैं ।
आते हैं वे गरीबों के दर पर पंचवर्षिय योजना की भाँति ।
भेदभाव फैलाकर कहते, हम नहीं पूछते किसी का धर्म-जाति ।
गरीब जनता को चाहते है वे रखना, अनपढ़-गवार ।
ताकि यह सुनिश्चित हो, कभी न हो उनकी राजनीति हार ।
जीतने के बाद तो वे दिखते नहीं, गरीबों के किसी गाँव में ।
तड़पाते है किसी काम पर, छाले पर जाते
गरीबों के पाव में ।
विकास का कार्य सिर्फ दिखते है प्रोग्रेस
रिपोर्ट में ।
जनता का है कोई नहीं, भगवान ही है केवल सुपोर्ट में ।
गरीबों के विकास की छाया दिखती है
उसकी शक्ल में ।
आजादी के नाम पर होती बर्बादी, न घुसी
उनकी अक्ल में ।
जिस दिन अक्ल खुल जाएगी, उस दिन होगी सच्ची आजादी ।
नेता जी डर जाऐगे सब, रूक जाएगी सबकी
बर्बादी ।