13 September, 2021

सरकारी नौकरी के 11 साल: कुछ अनछुए यादें. (Part-1) Eleven years of government job of Jai Prakash Narayan or JP HANS



                                                     (11 साल के सफर के साथी मैं कुणाल, दत्ता और विनय)

              13 सिंतबर, 2010, दिन सोमवारमेरे जिंदगी का वह सुनहरा पल जिसका सबको इंतजार रहता है। सरकारी नौकरीहाँ! इसी दिन मैंने सरकारी नौकरी जॉइन किया था। वर्षो के त्यागतपस्यामेहनत और लगन के बदौलत मैंने दिल्ली नगर निगम में क्लर्क के पद का कार्यभार संभाला था। इस विभाग में जॉइन तो मैं कुछ दिन पहले भी कर सकता था पर मेरी माँ अस्पताल में भर्ती थी जिसके वजह से जोइनिंग में देर हो गयी। हमारे कई दोस्त हमसे पहले जॉइन कर चुके थे। मेरा जोइनिंग लेटर घर पर नहीं आया था पर हमें पता था कि जोइनिंग लेटर जारी हो रहा है। मैंने विभाग के केंद्रीय संस्थापना विभाग के कर्मचारियों से मिलकर 11 सितंबर को जोइनिंग लेटर प्राप्त किया और 13 सिंतबर, 2010 को कार्यभार संभाल लिया था।

जोइनिंग के पहले का संघर्ष: 

        मैं 10 सिंतबर को दिल्ली पहुँचा था। इससे पहले दिल्ली दो बारएक बार एग्जाम और एक बार मेडिकल टेस्ट के लिए आया था। समझिये मेरे लिए दिल्ली एक अनजान शहर था। मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन से बस पकड़कर लाजपत नगर पहुँचा। लाजपत नगर में हमारे भैया रहते थे। उन्होंने बताया था कि आप लाजपतनगर बस से आ जाइए। लेकिन लाजपत नगर इतना बड़ा होगा यह नहीं मैंने समझा था। बहुत तेजी से बारिश हो रही थीमेरे लाजपत नगर पहुचते-पहुचते करीब छह बजे चुके थे। एक अनजान जगहशाम होने पर था और ऊपर से बारिश छूटने का नाम नहीं ले रहा था। मैं लाजपत नगर वाली बस स्टैंड पर उतराभींगते हुए सामने किसी दुकान में पहुँचा। वहां पहुँचकर भैया को फोन किया। भैया अपने ड्यूटी से आकर लाजपत नगर बस स्टैंड के सामने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास रुके हुए थे पर तेज बारिश के चलते अपने रूम N-38डबल स्टोरीनिर्मलपुरी लाजपतनगर को जा चुके थे। एक अनजान शहरशाम का समयतेज बारिशऊपर से मेरे कीपैड मोबाइल के बैटरी जवाब दे रहा था। भैया बार-बार N-38 डबल स्टोरी आने को बोल रहे थे पर बारिश के चलते साफ सुनाई नहीं आ रही थी। दुकान वाले ने बैग ढकने के लिए एक प्लास्टिक देकर मुझे चलता किया। दुकान वाले मुझे अनजान समझकर ज्यादा देर ठहराना उचित नहीं समझ रहे थे। भैया से बार-बार बात करने से यह बात समझ आ गयी थी कि हमें ज्यादा दूर नहीं जाना है। मेरा पूरा जूता भींग चुका था। लाजपत नगर फ़्लाईओवर के पास पानी जमा हो गया थाजिससे भींगे जूते से चलना मुश्किल हो गया फिर किसी तरह उनके रूम में पहुँचा। डर इसी बात का था कि यह शहर मेरे लिए अनजान थाशाम का समय हो गया थातेज बारिश हो रही थी और मोबाइल के बैटरी खत्म होने के कगार पर था। इस परिस्थिति में अगर भैया के रूम नहीं मिलते तो क्या करता?


       खैरअगले दिन पुरानी दिल्ली टाउन हॉल जाकर केंद्रीय संस्थापना विभाग से जोइनिंग लेटर लिया और सोमवार 13 सितम्बर को वही लाजपत नगर में स्थित MCD के Assessment & Collection Department (House Tax Department) में जोइनिंग दिया। जोइनिंग से पहले अपने मित्र ANIL DUTTA, Uttar Pradesh से मिला जो कि 30 अगस्त, 2010 को MCD के IT सेल में जॉइन किया था। आफिस के जोइनिंग का हालचाल इसी से पता करता था। मजे की बात है कि मैं पहले दिन जब दिल्ली आया था तो उसी ऑफिस के गेट से होकर गुजरा था फिर भी मुझे इस ऑफिस के बारे में पता नहीं चला।


         13 सितम्बर को मेरे साथ एक दोस्त Vinay Kumar, Hajipur, Bihar और दिल्ली के एक Geeta Kumari भी उसी पोस्ट पर जॉइन किया। जोइनिंग के बाद कुछ दिनों के बाद पोस्टिंग मिला था तब तक इधर-उधर घूमकर मौज करते रहे बाद में जब पोस्टिंग हुआ तो मेरा और Geeta Kumari, Delhi को MVC (Municipal Valuation Committee) और Vinay Kumar, Hajipur को DCC (Dishonour Cheque Cell) मिला। 20 सितम्बर को बिहार से एक और क्लर्क जॉइन किया Krishan Kant Kunal. मैंविनय और कुणाल (तीनो बिहारी) मिलकर लाजपत नगर 'गढ़ीमें रहने लगा। बाद में दो दिनों के ट्रेनिंग हुआ जिससे बहुत सारे दोस्त बन गया। नवल किशोरशेखर सुमनजाकिर हुसैनजगदीशराजकुमार. घनश्यामजितेंद्रअभिषेक. कई दोस्तों के नाम भी भूल चुका हूँ क्योंकि मेरे MCD से विदा लेने से पहले दूसरे विभाग में जा चूके थे और कई से अब संपर्क नहीं है।

ऑफिस जोइनिंग के बाद का संघर्ष:

        मुझे और गीता कुमारी को एक ही सेल में पोस्टिंग हुआ। जोइनिंग के बार MVC के PA ने मुझे वहां के कार्य के बारे में बताया कि यह सेंसिटिव जगह हैयहां दिल्ली के कॉलोनियों का categorization होता है। जिससे टैक्स तय होता है। बाहर किसी को मत बतानाअन्यथा नौकरी चली जायेगी। 

        एक दिन बहुत मजेदार हुआ। मेरे एडमिन के Dy A&C. झा सर थे। उनके PA ने अपने चैम्बर में बुलायायह चैम्बर डिप्टी के चैम्बर के आगे था। वहां गीता कुमारी पहले से बैठी थी। डिप्टी के PA ने मुझे बोला कि आपको हिंदी ट्रांसलेट के बारे में जानकारी है सो कुछ मैटर ट्रांसलेट करना हैजबकि मेरा पोस्टिंग MVC में था और क्लर्क के पोस्ट में आया था। मैंने PA को जवाब दियानहीं! 'मुझे नहीं आता है।इतने में PA गुस्सा हो गया, 'गीता तो कह रही है आपको आता है।मैंने कहा जैसे आप DICTIONARY से मीनिंग खोजकर ट्रांसलेट कीजियेगा वैसे ही मैं करूँगा। इतने में PA गुस्सा से लाल हो गया और कहने लगा, 'नया-नया आया है और जबान लड़ता है ओ भी डिप्टी के चैम्बर में।मैंने कुछ नहीं बोला और सीधा अपने सीट पर चला आया और मन ही मन कहा, 'जो करना है कर लोमैं क्लर्क हूँकोई ट्रांसलेटर नहीं।'

         गलत का मतलब गलत होता है। मुझसे गलती बर्दाश्त नहीं होती। जब ऑफिस जॉइन किया तो सभी क्लर्क को आई.डी कार्ड मिलना थाआईडी देने वाला केयरटेकर कुछ पैसा ऐठने के चक्कर में था तब मैंने केयरटेकर के खिलाफ एक लंबा-चौड़ा शिकायती पत्र लिखा जिससे हमारे दोस्त अनिल दत्त ने यह कहकर फाड़ दिया कि अभी-अभी नौकरी जॉइन किया है और पुराने आदमी को शिकायत करोगेकही तुम्हे नुकसान न पहुँचा दे। फिर जैसे-तैसे आईडी कार्ड मिला।

         सभी नए क्लर्को को नौकरी करते हुए एक साल से अधिक समय हो गया था फिर भी सैलरी नहीं मिल रही थी। वजह थी MCD की एक शर्त की जब तक सभी क्लर्को का पोलिस वेरिफिकेशन नहीं हो जाता तब तक सैलरी नहीं मिलेगी। जैसे-जैसे वेरिफिकेशन होकर डोजियर आता वैसे सैलरी चालू हो जाती। मेरा और कई दोस्तों को डोजियर आ गया था फिर भी Establishment Section वाले सैलरी जारी नहीं कर रहे थे तब मैंने डिप्टी इस्टैब्लिशमेंट मैडम पुष्पा सैनी की शिकायत लेकर HOD के पास पहुँच। फिर बाद में सैलरी जारी हुआ।

            कुछ ही दिनों के बाद मेरा ट्रांसफर MVC से डायरी-डिस्पैच सेक्शन में राजकुमारी मैडमसुनीता मैडम के साथ कर दिया गया जहां गंगा सहाय जी MCD के वरिष्ठ व्यक्ति का सानिध्य प्राप्त हुआ। लगभग डेढ़ साल के बाद लाजपतनगर हाउस टैक्स मुख्यालय को नई दिल्ली स्थित सिविक सेन्टर ट्रांसफर कर दिया गया। अब हमलोगों का नया ऑफिस सिविक सेन्टर के 20वाँ फ्लोर पर आ गया। हम तीनों साथियों को प्रतिदिन ऑफिस के लिए लाजपत नगर से नई दिल्ली सिविक सेंटर जाना होता था। सिविक सेन्टर में मेरे साथ सुनीता मैडम और जितेंद्र थाजितेंद्र बाद में GRP सेल में चला गया और सुनीता मैडम आरके पुरम ट्रान्सफर करवा ली। अब मैं इस सेक्शन में अकेला था और लेटर ले जाने के लिए मेरे साथ पांच नोटिस सर्वरगंगा सहायरमेश कुमारगोयल जीसचिदानंद जीएक का नाम याद नहीं।


                                                          (सिविक सेन्टर बिल्डिंग)


                                                (सिविक सेंटर में मेरा वर्क स्टेशन)
                     

कुछ दिनों के बाद MCD का तीन भागों में बंटवारा हो गया। मैं और मेरे दोनों पार्टनर का एड्रेस साउथ दिल्ली में होते हुए हम तीनों का ट्रांसफर पूर्वी दिल्ली नगर निगमपटपड़गंज में कर दिया गया। अब हमलोगों का नया ऑफिस पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज हो गया। हमलोगों ने अपना रूम लाजपत नगर 'गढ़ीसे बदलकर लक्ष्मी नगर में ले लिया।

 

                                                       (बीच में डाढी वाले विनोद सर)

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के हाउस टैक्स में हमारे नए गुरु 'श्री विनोद कुमार शर्माहेड क्लर्क और मार्गदर्शक "शशिधरण केपी" बने। शशिधरण जी जोइनिग से लेकर रिजाईनिंग तक एक मार्गदर्शक की भूमिका में रहे। यो कहूँ की शशिधरण जीदोनों साथी (कुणाल और विनय) और मैडम पुष्पा सैनी एक ही विभाग में रहकर मेरे जोइनिंग से लेकर रिजाइनिंग तक के साक्षी रहे हैं।

                               

(मैं और विनय कुमार)

गलती के लिए विभागीय दंड:

       मैंने 11 साल के कैरियर में कभी जानबूझकर गलती नहीं की। भले विभाग ने मुझे दो बार MEMO (Show Cause) दिया पर यह विभाग के अपनी नाकामियां छुपाने के लिये दिया था। पहली बार जब मेमो दिया गया था और उसमें जिस दिन के घटना का जिक्र था उस दिन मैं उपस्थित था ही नहीं इसलिए मेरा मेमो खारिज हुआ

        दूसरा मेमो मेरे जोइनिंग के पहले के किसी लेटर के लिए दिया गया था जिससे मुझे कार्यभार संभालने के बाद सहेजने के लिये मिला ही नहीं था। इस तरह दोनों मेमो से मैं मुक्त हुआ।
पहले और दूसरे मेमो की कहानी भी 2012 से 2014 के बीच ही है उसके बाद आज तक कोई SHOW CAUSE या मेमो नहीं मिला।

        मैंने 07 फरवरी, 2014 को पूर्वी दिल्ली नगर निगम के क्लर्क पद से त्याग-पत्र देकर10 फरवरी, 2014 को इनकम टैक्स विभाग, बिहार एवं झारखंड में स्टेनोग्राफर का पद ज्वाईन किया.













अंत में एक यादगार विडियो.



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15 August, 2021

चलो फिर से सबको याद दिलाते हैं।

चलो फिर से याद दिलाते हैं।




चलो फिर से याद सबको दिलाते हैं
समय-चक्र का डंडा फिर घुमाते हैं
याद करो उन शूरवीरों की कुर्बानी
जिनके कारण हम आजादी का जश्न मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाये।



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14 August, 2021

साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा (क्रांति-गीत)




साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा

मिलती रोटियां जब छीन जाती हाथों से।
फुसलाये जाते हो मीठी-मीठी बातों से।
इंकलाब का नारा अपना गढ़ना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।

जिंदगी गुजर रही जुल्मों को सहते हुए।
पुरखे खाये थे हमारे, गोलिया लड़ते हुए।
अब हमें ही तीर-कमान पकड़ना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।

जब आती है हको को मिलने की बारी।
जाति-धर्मो में उलझाने की करते तैयारी।
हर भेड़- चाल उनकी समझना होगा।
साथियों लड़ना होगा, हमें लड़ना होगा।
             -जेपी हंस (www.jphans.in


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28 July, 2021

चांद की ओर मत देखना


चांद की ओर मत देखना

मत देखना सपने
लम्बी उड़ान की।

मत जिद करना
चांद पर जाने की।

मत सोचना
तार्किक बातें
ज्ञान और विज्ञान की।


मत दौड़ना लंबी दौड़
जिंदगी में भाग-दौड़ की।

मत देखना उम्मीदों से
चांद की ओर
हौसला पाने की।

तुम्हारा उम्मीदे देखना,
सपने पालन, 
लंबी छलांग,
जिद करना,
ज्ञान व विज्ञान की बाते करना
ये सब तरक्की है क्या?

ये सब साजिशो का ही तो हिस्सा है
किसी विदेशी मुल्क के।

जो नहीं चाहता
हिंदुस्तान तरक्की करें।
एकता में रहे।

हिंदुस्तान तो
तरक्की कर ही रहा।

जहां केवल 
एक की ही एकता है।

जहां
एक राष्ट्र,
एक धर्म, 
एक भाषा,
एक संस्कृति,
एक वर्ण,
एक जाति,
एक वर्ग,
एक संस्था,
का एकाधिकार है
या 
के लिए नियमावली बन रही।

तुम्हारे सपने देखने से
एक का द्वि (दो)
होना
एकता है क्या?
तरक्की है क्या?

भले एक और एक
द्विज हो
एकता और तरक्की
कहलाता हैं।


*द्विज- जिसका दो बार जन्म होता है।


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29 June, 2021

दीपिका कुमारी- 27 साल में 54 देशों को धूल चटाने वाली भारतीय महिला.

                                              
 

कहा जाता है कि

  कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नहीं पहुँच सकता जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कन्धा मिलाकर चले.

  आज महिला हर क्षेत्र में खुद को साबित कर रही हैं एवं पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है. वे परिवार, समाज और देश की तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिल रहा है. भारतीय समाज पितृसतात्मक होने के कारण आज भी भ्रूण हत्या, महिलाओं के साथ शोषण, अत्याचार, अन्याय और बलात्कार के मामले हो रहे हैं. इस विषय पर पुरुषों को जागरूक होने की जरूरत है.

 

                                    photo credit: gettyimages

                

                  झारखंड की रहने वाली दीपिका कुमारी ने 27 जून, 2021 को 27 वर्ष की उम्र में पेरिस में चल रहे विश्वकप तीरंदाजी में महिलाओं की व्यक्तिगत, टीम और मिश्रित युगल में तीन गोल्ड मेडल हासिल किया साथ ही विश्व की नम्बर वन महिला तीरंदाज बनने वाली पहली भारतीय महिला बनी. इस पर दीपिका कुमारी ने कहा-

 यह पहली बार है, जब मैंने वर्ल्ड कप में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. मैं बहुत खुश हूँ लेकिन साथ ही मुझे लगातार अच्छा प्रदर्शन करना है क्योंकि आने वाले समय में कुछ बहुत महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं होने जा रही है.

  इससे पहले महिला क्रिकेटरों ने विश्वकप महिला क्रिकेट में वर्ल्ड कप जीतकर देश का नाम रौशन किया था.

               इस विश्वकप तीरंदाजी प्रतियोगिता में 55 देश शामिल हुए थे. तीरंदाजी प्रतियोगिता में दीपिका कुमारी के साथ झारखंड की अंकिता दास और कोमोलिका बारी भी शामिल हुई थी. दीपिका इससे पहले मात्र 18 साल की उम्र में वर्ल्ड नम्बर वन खिलाड़ी बन चुकी है. अब तक विश्व कप प्रतियोगिता में 9 गोल्ड मेडल, 12 सिल्वर मेडल और 7 ब्रॉन्ज हासिल कर चुकी है साथ ही भारत की ओर से तीरंदाजी प्रतियोगिता में जाने वाली अकेली महिला है.

                

                                       photo credit: gettyimages

               झारखंड के बेहद गरीब पिछड़े समाज में जन्म लेने वाली 27 वर्षीय दीपिका कुमारी ने पिछले 14 सालों में खेल का लम्बा सफर तय कर इस मुकाम पर पहुँची है. दीपिका के पिता शिवनारायण महतो एक ऑटो-रिक्शा ड्राईवर और माँ गीता महतो एक मेडिकल कॉलेज में ग्रुप-डी कर्मचारी है. ओलंपिक महासंघ द्वारा बनाये गये एक डॉक्मेन्ट्री में दीपिका बताती है कि उनका जन्म एक चलते हुए ऑटो रिक्शा में हुआ था क्योंकि उनकी माँ अस्पताल नहीं पहुँच पाई थी. दीपिका की शादी पिछले साल 30 जून को टाटा आर्चरी अकेडमी में उनके साथ तीरंदाज सीखने वाले अतनु दास के साथ हुआ था.

               आज इस भारतीय पितृसतात्मक समाज में पुत्र की चाहत में भ्रूण हत्या कर न जाने कितने दीपिका कुमारी और मिताली राज जैसे विश्व की उच्च प्रतियोगिता के शिखर पर पहुँचने वाली महान महिलाओं को गर्भ में हत्या की दी जाती है. आज भी महिलाओं को घर से दूर पढ़ने जाने की इजाजत नहीं दी जाती है. अगर दीपिका कुमारी को घर से 200 किलोमीटर दूर तीरंदाजी सिखने नहीं जाने दि जाती तो क्या परिवार, समाज और देश का नाम रौशन कर पाती?

                इससे पहले भी भारतीय राजनीति में सफल महिलाओं की सूची में सुश्री मायावती, श्रीमति राबड़ी देवी, सुश्री ममता बनर्जी, सुश्री जयललीता और श्रीमती सुषमा स्वराज का नाम शामिल है.

 

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18 June, 2021

"जाती" और "जाति" की 'ऐसी की तैसी'




हमारे हेडिंग से ही आपको लग रहा होगा कि हम "जाती" और "जाति" की ऐसी की तैसी करने वाले है। मेरे शब्दों में "जाती" का मतलब 'जाती हुई लड़कीं' मतलब बेवफा लड़कीं। वह लड़कीं जो दिलरुबा लड़को का दिल तोड़कर किसी और के साथ रफूचक्कर हो गयी। इधर लड़का उसके प्यार में पागल बेवड़े बनकर घूम रहे हो, सिगरेट की कश पर कश लगाए जा रहा हो, शराब की बोतलों की हाउस सेलिंग-सी दुकान खोल रखा हो, एग्जाम में क्रॉस पर क्रॉस लग रहे हो। उधर बेवफा सनम अपने नए आशिक के साथ घोड़े बेचकर चैन की नींद सो रहा हो, उसे रति-भर भी फिक्र नहीं हो कि हमने सालों तक जिसके साथ इश्क फरमाया ओ कैसे हालातों में जिंदगी गुजार रहा हो? वैसे कहा जाता है कि प्यार में धोखा खाये इंसान दोबारा जिंदगी शुरू कर सकता है, लेकिन उसको कोई सीख देने वाला तो मिले। हालांकि जब प्यार में धोखा खाया इंसान दुबारा जिंदगी शुरू कर दे तो बेवफा सनम की शामत आना तय है। दिलरुबा बाबू साहब बिना खबर लिए छोड़ नहीं सकता। आखिर खबर भी क्यों न ले? प्यार करने में कितने पापड़ बेले और धोखा खाने का इल्जाम भी अक्सर उन्हें ही झेलने पड़ते हैं। लव और धोखा का इल्जाम भी गोली से निकले खोखे की तरह होता है। जो न घर का होता है न घाट का। जिस तरह से गोली से निकलने के बाद खोखे का महत्व नहीं रहता उसी तरह प्यार में धोखा खाये इंसान का जिंदगी जीने का  कोई मकसद नहीं रह जाता। वह अक्सर यही सोचता था कि जिसको से वह प्यार कर रहा था उसके साथ जिंदगी- भर रिश्ते निभाएगा।  एक तरफा प्यार में पागल होना सनकी कहलाता है। प्यार का खम्बा दोनों तरफ से मजबूत होनी चाहिए।

दूसरा शब्द है "जाति". मतलब यों कहें कि भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ एक 'जाति' प्रधान देश है। वैसे कोई किसी से प्रधान हो क्या फर्क पड़ता है? जब तक वह व्यवस्था दूसरों का अहित न करें। भारत के इतिहास में आज तक जितना "जाति व्यवस्था" ने भारतीय समाज को अहित किया है उतना शायद किसी और व्यवस्था ने नहीं किया होगा। तुम फलना जाति के हो, तुम चिलना जाति के हो, तुम ढिकना जाति के। इतनी जातियां है कि उतना किसी जाति वाले गिनती तक नहीं जानते होंगे शायद। उतना से भी पेट नहीं भरता। तुम उच्च जाति के हो, तुम मध्यम जाति के हो, तुम नीच जाति के हो? तुम ये पालते हो, तुम ये चराते हो, तुम ई सब खाते हो, तुम यह काम करते हो। आखिर भला अफ्रीका के जंगलों से उत्पन्न इंसानो में इतनी वर्ग-भेद कैसे हो सकती है? इसके पीछे जरूर कोई असामाजिक तत्वों के हाथ हो सकता है या वर्चस्ववादी वर्ग का हाथ हो सकता है। जो चाहता है कि लोग जातियों में बटे रहे और हम फुट डालकर मौज करते रहे। लेकिन वक्त का करवा बदल रहा है। फुट डालकर मौज करने वाले के दिन जाने वाले हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि इंसान बहुत धार्मिक है फिर भी छोटे जाति-बड़े जाति की रट लगाए रहता है। आखिर ये सब सीख कहां से मिलता होगा। हर इंसान कोई न कोई भगवान, अल्लाह, परमात्मा, गुरु इत्यादि को मानता ही है तो किस भगवान, अल्लाह, परमात्मा इत्यादि ने सिखलाया की इंसान-इंसान में भेद करों? हाँ, कुछ अव्यवहारिक और काल्पनिक ग्रंथ या किताब है जिसमें असमानता का उल्लेख है जिसके बारे में डॉ आंबेडकर ने समय रहते सचेत किया था।
    अगर यह भेद जाति के आधार पर जारी रहती है तो ऐसी "जाति" की ऐसी की तैसी जरूर होनी चाहिए। मतलब खात्मा जरूर होनी चाहिए।



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06 June, 2021

हादसा












हादसे होते थे
और होते रहेंगे
जब तक
सड़कों पर गड्ढे रहेंगे।

जब तक लोग
सड़क नियमों का
पालन नहीं करेंगे।

सड़कों पर हादसे होते थे।
और होते ही रहेंगे।

जब तक गाड़ियां
ट्रैफिक नियमों का
पालन नहीं करेंगी।

हादसे होते थे
और होते ही रहेंगे।

समाज में भी हादसे होते थे
और होते रहेंगे

जब तक लोगों में
गैर-बराबरी,
असमानता,
छुआछूत,
भेदभाव जैसे
गढ्ढे बने रहेंगे।

समाज में भी हादसे
होते रहेंगे।

अमीरी-गरीबी
और 
उच्च-नीच की दीवार
लोगों के बीच
खड़े रहेंगे।

समाज में भी 
हादसे होते रहेंगे।

सवैधानिक नियमों
का पालन लोग
नहीं करेंगे।

तब तक
समाज में भी
हादसे होते थे
और होते रहेंगे।

हादसा कोई भी हो
चाहे सड़क पर हो
या समाज में ।

हर बार पीड़ित
इंसान होता है।

हर बार पीड़ित
इंसान होता है।

             ©जेपी हंस

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