प्रधानमंत्री ने दुखड़ा सुनाया,
राजस्व घट रही है , क्या किया जाए ?
अधिकारियों
ने बताया सर,
किसी और पर
टैक्स लगाया जाए ।
बजट का सत्र
आया ।
वितमंत्री
ने फरमान सुनाया ।
आदमी पर
टैक्स लगाते-लगाते थक गया हूँ
अब चूहों पर
टैक्स लगेगा ।
आदमी सुस्त
पड़ गया है
चूहों से आमद बढ़ेगा ।
यह बात जब चूहों
तक आई
सबने एकाएक
मिटिंग बुलाई ।
नेता लोग
सेठिया गया है
अब हम पर ही
टैक्स लगा रहा है ।
अरे हमारी
आमदनी ही क्या है ?
जिस पर
टैक्स लगाई जाए ।
हम तो
दूसरों के घर जाते हैं
जो मिलता है
वही खाकर रह जाते हैं ।
कोई उपाय
नहीं सूझ रहा था
क्या किया
जाए ।
चलो सब मिलकर,
जंतर-मंतर
पर धरना दिया जाए ।
संसद में
बहस हो रही थी ।
कैसे और किस
तरह लगाई जाए ।
बाहर
धरना-प्रदर्शन हो रहा था ।
नारे लग रहे
थे, वित्त मंत्री हाय
हाय...
चूहों पर
टैक्स लगा रहे हो
पहले अपनी
दो सफाई
कोई और नहीं
बचा है
मेरी वो
हरजाई ।
संसद में
कृषि मंत्री ने कहा-
चुहा हमारा
गेहूँ खा जाता है
बचता है वो
अपने घर ले जाता है
इनके यहाँ
बहुत अघोषित सम्पत्ति है ।
इन्हीं पर
टैक्स लगाया जाए ।
चुहों ने कहाँ,
ये तो हमारा अघोषित
सम्पत्ति है ।
तुम्हारा जो स्विस बैंक में जमा है वो क्या स्वपोषित
सम्पत्ति है ।
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