जग्गू ने शाम के समय अपनी नौकरी पर से काम खत्म कर
जैसे ही अपने किराये वाले कमरें में बल्ब का स्विच ऑन करने से पहले पैर रखा । वह
इस सपने में खो गया कि मैं कहीं रात को सोये-सोये सपने तो नहीं देख रहा हूँ ।
जग्गू का पैर पानी से डूबा था । उसने मन ही मन सोचा कि अब तक उतराखण्ड में बाढ़, कश्मीर में बाढ़, बिहार, उड़िसा में बाढ़ तो सुना है, लेकिन मेरे दो मंजिले कमरे में बाढ़ । यह बात तो उससे हजम नहीं हो रही थी
। जैसे-तैसे उसने बल्ब जलाया, थैला रखा । अब उसने देखा कि
पूरा कमरा जलमग्न है । कमरे में बिखरे सामान नाव की भाँति तैर रहा है । कुछ देर के
बाद पता चला कि पीने के पानी का नल खुला रहा गया था । नल के बगल में ही जग्गू का
कमरा था । दरअसल पीने की पानी तो सुबह-
शाम आती थी । आज दिन में कैसे आया ? जग्गू ने कमरा से पानी
के निकास का स्थान को बंद कर दिया था, क्योंकि चूहा उसे बहुत
तंग करता था । चूहा रोज इसी रास्ते से आता था । कमरे में न रहने पर तरह-तरह के
सामान को बेमतलब से चुहा कुतर देता था । पानी के निकास बंद होने के कारण आज कमरे
में बाढ़ आ गई थी । अगर पानी के निकास बंद नहीं होता तो पानी पूरा निकल जाता और
बाढ़ नहीं आती । जग्गू ने अपने नल को खुले होने का दोष
नहीं माना । उसने चुहे के ऊपर सारा दोष मढ़ दिया । अगर चुहा कमरे में तंग नहीं
करता तो वह पानी का निकास नहीं बंद करता, यदि पानी का निकास बंद नहीं होता
तो कमरे में बाढ़ आने की नौबत नहीं आती । साथ ही इसका दोष अपने मकान मालिक के ऊपर
भी मढ़ दिया । अगर मकान मालिक दिन में पानी नहीं
दिया होता तो कमरे में बाढ़ नहीं आती ।
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