27 August, 2014

एक छात्र की आत्मकथा


छात्र की गाथा उसके कर-कर्म से मिलता ।
पढ़ने-लिखने के क्रम में, हरदम ना ना करता ।
कभी बाजार की सैर करता, कभी बनता सयाना ।
पढ़न-लिखने के नाम पर, करता हमेशा बहाना ।
सुरज उगा, चिड़िया चहचहाई, हुई पढ़ने जाने की बारी ।
मॉ ने बेलना उठाया, करो स्कूल जाने की तैयारी ।
दुखी मन से बैग उठाया, पहुंचा स्कूल के गेट ।
गुरु जी ने झड़पे सुनाई, तुमको हुई क्यों लेट ।
खड़े रहो तुम एक पैर पर,  पूरी पहली घंटी ।
लेट-लतीफ से आने वालों की,  होती ऐसी गति ।
वर्ग में पहुँचने पर,  मिली अन्तिम सीट ।
पाठ याद न रहने पर,  गुरु जी ने दिया पीट ।
कान पकड़ता हूँ अब मैं,  करूँगा पाठ याद ।
खेलने-कुदने में नहीं मैं,  करूँगा समय बर्बाद ।
जिन्दगी तुम्हें बनाना है,  सुधरों दोस्तों सभी ।
उम्र भर रोना पड़ेगा,  नहीं पढ़ोगे अभी ।
             जे.पी. हंस

26 August, 2014

मानव मस्तिष्क के विकास

मानव मस्तिष्क के विकास संबंधी जानकारियाँ

समाज में ऐसे व्यक्तित्व का विकास करना जो समतामूलक स्वस्थ समाज की रचना के लिए अति आवश्यक हैं । ऐसे व्यक्ति ही अपनी संकीर्ण सीमा से ऊपर उठकर समाज, देश और विश्व स्तर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों की स्मृति जितनी अच्छी होगी उतनी ही ज्ञान ग्रहण करने की क्षमती बढ़ जाएगी । जितना ज्ञान होगा, उसी के आधार पर भविष्य की योजनाएं बनेंगी और उनका क्रियान्वयण होगा ।

स्मरण शक्ति कम होने के कारण

1.      निन्द्रा और आलस्य की ओर व्यक्ति का झुकाव ।
2.      मस्तिष्क की झुकाव पढ़ने की तरफ न होना ।
3.      टी.वी, मोबाईल, और अन्य मनोरंजन के साधनों के प्रति आकर्षण ।
4.      रीढ़ की हड्डी को झुका कर बैठने को आदि होना ।
5.      शरीर में कफ का जमना और मल का अवरोध होना ।
6.      निषेधात्मक दृष्टिकोण को होना ।
7.      स्मृति में डाले गए विषयों को नहीं दोहराना ।
8.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से ग्रस्त होना ।
9.      मस्तिष्क का सीमित विकास या विकृत मस्तिषक का होना ।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के व्यावहारिक तरीके

1.      वाणी संयम का अभ्यास करना ताकि मस्तिष्कीय ऊर्जा का बेकार खर्च न हो ।
2.      पढ़ने के प्रति रुचि और जागरूकता पैदा करना चाहिए ।
3.      पढ़े गए विषयों को बार-बार दोहराना ।
4.      पढ़ने के बाद आवश्यक विषयों को बिन्दु के रूप में याद रखना ।
5.      शरीर में कफ की प्रकृति को काबू में रखना ।
6.      हमेशा रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर बैठना चाहिए, जिससे मस्तिष्क की इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां सदा स्वस्थ बनी रहें ।
7.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से मुक्ति पाने का उपाय करना ।
8.      अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसमें रुचि लेना और व्यर्थ की बातों में समय खर्च नहीं करना ।   समय का प्रबंधन करना ।
9.      अध्ययन के साथ अध्यात्म को भी पालन करना ।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के प्रायोगिक तरीके

1.      ज्ञान मुद्रा- दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे के पोरों को मिलाकर इस प्रकार घुटनों पर रखें कि हथेली का निचला भाग घुटने पर रहे । शेष तीन उगलियाँ मिली हुई और सीधी हो ।
2.      महाप्राण ध्वनि-सोने से पूर्व, सोकर उठने के तुरंत बाद एवं पढ़ने से पूर्व नौ-नौ बार महाप्राण ध्वनि का अभ्यास करें अर्थात किसी भी आसन में बैठकर, नेत्र बंद रखते हुए ओठ बंद करें तथा ओम् का गुंजन करें।
3.      आसन- योगमुद्रा, सर्वागासन एवं शशांकासन का नियमित अभ्यास करें ।
4.      ध्यान- ज्ञान केन्द्र आज्ञाचक्र पर सूर्यमुखी फूल की तरह चमकते पीले रंग का ध्यान करें । (समय-10 मिनट)
5.      भावना- रात को सोते समय शरीर को शिथिल करके भावना जागृत करे कि मेरी स्मरण शक्ति बढ़ रही है ।
6.      ऊं ह्रीं सरस्वत्यै नमः का सोते समय जप करें ।
7.      त्राटक- किसी मोमबती को आंखों जितनी ऊंचाई पर रखे । उसकी दूरी एक मीटर हो । आंख खोलकर लगातार मोमबती की लौ पर दृष्टि एकाग्र करें । कुछ देर बाद नेत्र बंद करें । फिर खोलें फिर पहले से अधिक देर तक देखें । जब तक आंखों से पानी न आ जाए एक टक देखें । बाद में हथेलियों का कप-सा बनाकर बंद आंखों पर रखें ।





04 August, 2014

तेरी यादें


भूलने वाले से कोई कह दे जरा,
इस तरह याद आने से क्या फायदा,
जो मेरी दुनिया को बसाते नहीं,
फिर याद आकर सताने से क्या फायदा,

            मेरा दिल को जला कर क्या मिल गया,
            मिट सका न जमाना से मेरा निशा,
            मुझ पर बिजली गिराओ तो जाने सही,
            मेरा आँसुओं पर गिराने से क्या फायदा,

क्या कहूँ आपसे कितनी उम्मीद थी,
अब क्या बदले दुनिया बदलती गयी,
आसरा देकर दिल तोड़ते है मेरा,
इस तरह याद आने से क्या फायदा,

            आपने कितनी मुझे तकलीफें दी,
            लूट जाती हूँ याद करती हुई,
            ऐसे सजदें से अल्लाह मिलता नहीं,
            हर जगह सर झुकाने से क्या फायदा ।
                                   -अज्ञात

03 August, 2014

पुतली

        

लिखते है खैरियत के अफसाने मे,
रात डाक पड़ा है थाने में,

कुछ है लीन मात देने में,
कुछ लगें है सह बचाने में,
ऊपर-ऊपर है दोस्ती उनमें,
है दाव-पेंच दरमियाने में,

यह फैसला लिया गया लोगों ने,
कल मिल बैठकर मयखाने में,
मरहवा, तुम बड़े माहिर निकलें,
काठ की पुतली नचाने में ।
                         -अज्ञात

जिंदगी में हो अगर करना करिश्मा


आदमी जब ठान लेता स्वयं मन में,
ऊंगलियों से छेद कर देता गगन में,
मुँह लगाकर सोख लेता है समन्दर,
उलट देता है हिमालय एक क्षण में ।
जिंदगी में हो अगर करना करिश्मा,
बदल डालों तुम पुरातन आज चश्मा,
पालकी से उतर कर किरणें हँसेगा,
घाटियों में फिर भरेगी भव्य सुषमा
आपके ऊपर कहें किसकी दुआ है,
खिल उठा वो आपने जिसके हुआ है,
जिंदगी में आपने जब भी जहाँ पर ,
जो लिया संकल्प पूरा ही हुआ है ।
बात मत करना यहाँ संवेदना की
आदमी की भावभीनी भावना की,
लोग कब तारीफ करते हैं किसीकी,
रात दिन चलती हवा आलोचना की।
                                  -अज्ञात         


02 August, 2014

गजल


                            गजल

तोते दिखते ही नहीं, बाज नजर आते हैं ।
            बगुले और गिद्ध के समाज नजर आते हैं ।

मायने के आइने वे अन्दाज नजर आते हैं ।
             महफिल यह खुशियाँ बिखरेंगी कैसे ।

जब गाने वाले गायब, सिर्फ साज नजर आते हैं ।
            पद को जो दुनिया में हद करके छोड़ दें ।

कपटी के सर पे ही ताज नजर आते हैं ।
            असल में हम जिसका है उसे नहीं मिल पाता ।
ऐसे में कुटिल दगाबाज नजर आते हैं ।
                                        -अज्ञात        


मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले

मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले

मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले,
मैं तुम्हीं को ढूँढता था, इस जिन्दगी से पहले,
मैं खाक का जरा था और क्या थी मेरी हस्ती,
मैं थपेड़े खा रहा था ,जैसे तूफाँ में किश्ती,
दर-दर भटक रहा था, तेरी बंदगी से पहले,

मैं इस तरह जहाँ में, जैसे खाली सीप होती,
मेरी बढ़ गयी है कीमत, तूने भर दिये है मोती,
मुझे मिल गया सहारा, कदमों में तेरे आके,
यूं तो है जहाँ में लाखों, तेरे जैसा कौन होगा,
तू है वो दरिया रहमत, तेरा जैसा कौन होगा,
मजा क्या है जिंदगी में, तेरी बंदगी से पहले,

तू जो मेहरबाँ हुआ, सारा जग ही मेहरबाँ है,
न आवाज न गला था, तेरी बंदगी से पहले,
रौशन साथी तेरे से, हर दिल में राज तेरा,
माँ भारती मेरी मैया, मेरे दिल में डालो डेरा,
दर-दर की खाक छानी, तेरी बंदगी से पहले,
मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले
         -अज्ञात